कालेधन और नकली नोटों के परस्पर संबंध से इंकार नहीं किया जा सकता। जितना मूल्यवान नोट होता है, उतना ही ज्यादा कालाधन एकत्रित होता है और नकली नोटों का जखीरा भी। पिछली बार की नोटबंदी में भले असली नोटों का प्रतिशत ज्यादा और नकली नोटों का कम रहा हो, पर इसका हमला कालाधन एकत्रित करने वालों, नकली नोट चलाने वालों और देश में अवैध गतिविधयां चलने वालों पर अवश्य हुआ।
दो हजार के नोटों के चलन से बाहर करने के रिजर्व बैंक के निर्णय से आम लोग अवश्य कुछ परेशान होंगे, पर कालाधन एकत्रित करने और नकली नोट बनाने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अधिकांश आम नागरिक तो इससे अछूते ही रहेंगे, क्योंकि दो हजार के नोट वे अत्यावश्यक परिस्थितयों में ही रखते हैं।
साफ-सुथरे, हिसाब-किताब रखने वाले, वेतनभोगी और बैंक खाताधारक पर दो हजार रुपये की नोटबंदी से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला। पिछली बार सरकार ने अभियान चला कर लोगों के बैंक खाते खुलवा कर उन्हें बैंकों में धन रखने की एक अच्छी आदत डाल दी थी, जिससे पैसा भी सुरक्षित, हिसाब-किताब भी सही, डिजिटल लेनदेन की प्रवृत्ति बढ़ने से लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है।
सबसे बड़ी बात यह कि ‘सांच को आंच क्या’ घबराएं तो फरेबी घबराएं। अंत में इतना जरूर है कि नोट बदलने की प्रक्रिया में पारदर्शित बनी रहे, इसके नाम पर धोखाधड़ी न हो, कमीशनखोरी न पनपे और सही व्यक्ति को नोट बदलवाने में परेशानी न हो, इसका खयाल बैंक, सरकारी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को मुस्तैदी से रखना होगा, ताकि पिछली बार जैसी लोगों को परेशानी न होने पाए।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर।
अमेरिकी रुख
आखिर रूसी आक्रमण के पंद्रह महीने बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जी 7 देशों के सम्मेलन, हिरोशिमा में भाग लेते हुए यह घोषणा की कि यूक्रेन के पायलटों को अमेरिका निर्मित एफ-16 लड़ाकू विमानों पर प्रशिक्षित करने की योजना को मंजूरी दे रहे हैं। हालांकि जेलेंस्की अभी हिरोशिमा पहुंचे भी नहीं हैं, वे रविवार को वहां पहुंचेंगे, जबकि जो बाइडेन अपने देश में चल रहे ऋण सीमा वार्ता के कारण रविवार को अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे।
मगर प्रस्थान से पहले उन्होंने एक बड़ी सौगात यूक्रेन को दी है। आज प्रशिक्षण देने की बात की है, क्या पता कल को एफ-16 लड़ाकू विमान देने पर भी राजी हो जाएं। हाल ही में ब्रिटेन ने क्रूज मिसाइल देने पर सहमति दी थी। यही इस युद्ध का निर्णायक मोड़ साबित होगा, क्योंकि जितने भी प्रतिबंध लगाए गए, वे सब फिलहाल नाकामयाब लग रहे हैं।
यूरोप रूसी र्इंधन का एक तरफ बहिष्कार करता है, दूसरी तरफ उसी तेल को भारत के रास्ते वापस खरीदता है। बुराई पर अच्छाई को अगर विजयी होना है, तो यूक्रेन को सीधे सैन्य मदद के साथ-साथ लड़ाकू विमान देने ही पड़ेंगे। क्योंकि यूक्रेन अकेले रूस से नहीं लड़ सकता।
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर
किसानों से धोखा
उत्तर-पश्चिम भारत में सरकारों के निकम्मेपन और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कोरे बाजारीपन और भ्रमित प्रचार से बिक रहे महंगे संकर (हाईब्रीड) धान बीज किसानों से धोखा और देश की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तराई आदि क्षेत्रों) में सस्ते दाम वाले (चालीस रुपए प्रति किलो) धान की स्व-परागण उन्नत किस्मों के बीज, महंगे (चार सौ रुपए प्रति किलो) संकर (हाईब्रीड) धान के बीज से ज्यादा पैदावार देते हैं। किसान, धान की स्व-परागण उन्नत किस्मों का बीज अगले साल के लिए खुद भी बना सकते हैं, जबकि संकर धान (एफ-1 हाईब्रीड) का महंगा बीज हर साल किसान को बाजार से ही खरीदना होगा।
भारत सरकार की केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा पिछले बीस वर्षों में दर्जनों संकर धान किस्में किसानों के लिए अनुशंसित की गर्इं। उत्तर-पश्चिम भारत में स्व-परागण किस्मों के मुकाबले कम पैदावार होने के कारण सरकारी संस्थानों द्वारा विकसित संकर धान बीज किसानों द्वारा नहीं अपनाए गए। मगर बहुराष्ट्रीय कंपनियां झूठे प्रचार से किसानों को भ्रमित करते हुए अपने संकर धान बीज बेचने में सफल रही हैं। सरकारी मिलीभगत से किसानों को हुए नुकसान के कानूनी मुआवजे से बचने के लिए ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां कानून के खिलाफ संकर धान बीज के थैले पर और प्रचार सामग्री में अपने संकर धान बीज की औसत पैदावार का उल्लेख भी नही करतीं!
उल्लेखनीय है कि धान का संकर बीज बनाने की कम लागत के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संकर धान का ज्यादातर बीज दक्षिण भारत में पैदा होता है, जिसके कारण पिछले वर्ष देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्र उत्तर-पश्चिम भारत में पहली बार धान की फसल में बौनापन वायरस की बीमारी आई, जिससे किसानों की लगभग एक चौधाई फसल खराब हुई। यह भाविष्य में देश की खाद्य सुरक्षा और चावल के अस्सी हजार करोड़ रुपये वार्षिक निर्यात के लिए बड़ा खतरा बन सकता है! इसलिए सरकार को बहुराष्ट्रीय कंपनियो के संकर धान बीज के झूठे प्रचार और विपणन पर लगाम लगानी चाहिए।
वीरेंद्र सिंह लाठर, करनाल।
राजस्थान में उठापटक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार को दरकिनार कर राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में भाजपा युद्ध स्तर पर काम करेगी, जिसकी एक झलक केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल से देखने को मिला है। पूर्व कानून मंत्री किरण रिजीजू को हटाकर राजस्थान के एक लोकप्रिय दलित नेता अर्जुन मेघवाल को कानून मंत्री बना कर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राजस्थान में सत्ता परिवर्तन का संकल्प ले चुकी है।
राजस्थान में भाजपा को प्रबल संभावनाएं भी नजर आ रही हैं, क्योंकि वहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट ने विद्रोह कर दिया है और ताबड़तोड़ रैलियां कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। इस स्थिति में भाजपा को फायदा नजर आ रहा है और यह संभव है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बड़ी योजनाओं के साथ राजस्थान जाएंगे।
राजस्थान में दलित और मुसलिम समुदाय पर सबसे ज्यादा अत्याचार देखने को मिले हैं। कांग्रेस सरकार इन घटनाओं पर लगाम नहीं लगा सकी। गनीमत है कि वहां बसपा इतनी मजबूत नहीं है, अन्यथा कांग्रेस को वोटों का भारी नुकसान हो सकता था। अभी चुनाव छह महीने दूर है, लेकिन इस बार राजस्थान में जोरदार चुनावी उठापटक और घमासान होने वाला है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली।