पश्चिम बंगाल चुनाव में सियासी घमासान जारी है। एक तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो दूसरी तरफ दूसरे दलों के कई दिग्गज नेता इस मैदान में हैं और फिलहाल वहां अलग-अलग सभी पार्टियों की बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं। इन रैलियों में नेता बिना मास्क ओर बिना दो गज की दूरी के साथ रैली, यात्रा, बड़े-बड़े रोड शो कर रहे हैं।
सवाल है कि क्या कोरोना के सख्त नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए हैं, जिनसे चालान के नाम उनसे और पैसा वसूला जाए और जब वह अस्पतालों में जाए तो महंगे बिलों का उन्हें भुगतान करना पड़े? क्या यह सच नहीं है कि आम लोग नेताओं और मशहूर हस्तियों को देख कर उनके मुताबिक ही अपना आचरण करने की कोशिश करते हैं? लेकिन जब नेता और मशहूर हस्तियों के सार्वजनिक बयानों और उनके व्यवहारों में कोई तालमेल नहीं दिख रहा है, तो ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही।
बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान भी कुछ महीने पहले चुनाव प्रचार जम कर हुआ और तमाम नेताओं की रैलियों में लाखों-लाख लोगों ने शिरकत कीा। नेताओं के लिए कोई नियम नहीं, लेकिन आम लोगों के लिए सभी सख्त नियम-कायदे और कई तरह बंदिशें। यह किस तरह की व्यवस्था है? खबरों के मुताबिक होली के समारोह पर भी रोक लगेगी।
शादी-विवाह मे सीमित संख्या में लोगों को आने की अनुमति है। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कोरोना से बचाव के लिए मुख्यमंत्रियों को संबोधित किया, दो गज की दूरी और सख्ती पर जोर दिया। टीके की बर्बादी न हो, इस पर बात की। लेकिन क्या यह सख्ती सिर्फ आमजन के लिए है या नेताओं, नौकरशाहों और अफसर आदि सबके लिए भी है? लोग लापरवाही करते हैं नेता और उन पसंदीदा लोगों को देख कर, जिन्हे देखना उन्हें पसंद हो। ऐसी लापरवाहियों की वजह से ही एक बार फिर कुछ जगहों पर पूर्णबंदी लगाने की नौबत आई है। सवाल है कि आखिर हमारा देश किस ओर जा रहा है!
’मोनिका, पालम, नई दिल्ली
गारंटी से आगे
आगामी असम विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सभी पार्टियां अपने पक्ष में धुआंधार प्रचार कर रही हैं। इन सबके बीच इन दिनों राज्य में चारों दिशा से कांग्रेस की एक विशेष वार्ता ने असमवासियों का ध्यान आकृष्ट किया है। कांग्रेस का कहना है कि जब भी असम में उनकी सरकार बनेगी तो वे पांच गारंटी लेकर आएंगे।
इनमें से मुख्य है रोजगार दिलाना, महिलाओं को सम्मान दिलाना, शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरी दिलाना आदि। कांग्रेस ने इस गारंटी प्रक्रिया के लिए एक वेबसाइट भी शुरू किया है, जहां लोग अपनी-अपनी नौकरी के लिए पंजीकरण करा रहे हैं। कांग्रेस अपनी बातों पर कितनी खरी है, यह चुनावों के वक्त पता चलेगा। केवल राजनीति करने के लिए जनता को झूठा आश्वासन अब नहीं देना चाहिए।
’चंदन कुमार नाथ, गुवाहाटी, असम