कहा जाता है जो राष्ट्र जितना उन्नत होगा, वहां महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान उसी राष्ट्र में मिलेगा। एशिया का एक उन्नत देश दक्षिण कोरिया कोरियाई युद्ध के बाद औद्योगिक क्रांति के जरिए पश्चिम के उन्नत देशों के समकक्ष खड़ा है। लेकिन आज वहां के पुरुषों का एक वर्ग स्त्रीवाद का विरोध कर रहा है। यह किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है। मगर यह सत्य है। सिर्फ विरोध ही नहीं, बल्कि ऐसा करने वालों को लग रहा है कि महिलाओं की तुलना में उनका देश उन्हें कम तवज्जो दे रहा है।
इसलिए अब वे खुलकर महिलाओं के विरोध में उतर आये हैं। हाल में तोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जितने वाली एन सैन द्वारा अपना बाल छोटे करवाने का भी वहां जोरदार विरोध हुआ। जहां इस धरती पर आज भी महिलाएं बराबरी का हक पाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं, वहीं दक्षिण कोरिया के पुरुष उन्हें बराबरी का हक देने को कतई तैयार नहीं दिख रहे हैं। वे पुरुष प्रधान समाज को यथावत बनाए रखने के पक्षधर हैं। महिलाओं का उत्थान के बदले उनका पतन चाहते हैं। दक्षिण कोरियाई पुरुष महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाए रखने के लिए सक्रिय दिख रहे हैं। निश्चित रूप में यह सोच वहां के समाज के लिए घातक है।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>
कल्पना और सच
सफर का दौर बस यों ही चलता रहेगा, पर हम सब अपनी जिंदगी में करते क्या है, उसका एहसास सिर्फ हमको ही रहेगा। बहुत-सी बातें ऐसी होती हैं जो हम खुलकर किसी और के सामने नहीं कह पाते, पर असल में हम उसे सपनों की दुनिया में कह जाते हैं। जिंदगी बहुत प्यारी है, बस सामने आए पलों को व्यतीत करना कुछ लोगों के लिए मुश्किल साबित होता है। अपने मन में लिए हुए हजारो सपनों के साथ हम कहां पर जाकर किससे मुलाकात करते हैं, पता ही नहीं चलता। काल्पनिक बातें तो अपनी दुनिया हर एक पल में लिख देती है, मगर उनका सच होना एक चुनौती होता है।
सच हो तो यह वाकई खूबसूरत पल होता है जो किसी न किसी मोड़ पर सच्ची कहानी दर्ज कर देता है। काल्पनिक और अकाल्पनिक के फर्क को समझने वाले लोग कभी आत्मविश्वास को नहीं खोते। ये सब हमारे ऊपर निर्भर है कि हम जिंदगी को हंसी के साथ बिताना चाहते हैं या जिंदगी को एक बोझ मान कर बस समय निकालना है।
’सृष्टि मौर्य, फरीदाबाद, हरियाणा