अफगानिस्तान फिलहाल बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अफगानिस्तान के लोगों के पास अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे नहीं हैं। करीब ढाई करोड़ लोग रोटी के टुकड़े के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संकट का हल करने के लिए इस्लामी सहयोग संगठन के मंत्रियों और अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान पहुंचना आरंभ कर दिया है, क्योंकि पाकिस्तान इस बैठक की मेजबानी करेगा।

तालिबान के पास अपने कर्तव्यों की सेवा करने की कोई प्रतिबद्धता नहीं है। केवल चुनी हुई सरकार और लोकतंत्र ही देश की सेवा कर सकते हैं। तालिबानियों ने जनता पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, उन्हें राष्ट्र की सेवा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। अब इस्लामी राज्यों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए पहल की है। इस्लामिक राज्य और अन्य लोग क्या करेंगे यह आने वाले समय में सामने आएगा।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र

कोख की कीमत

‘किराए की कोख’ (संपादकीय, 20 दिसंबर) के विषय में यही कहना है कि कोई दंपति चाहे तो चिकित्सीय मदद से किसी अन्य महिला के गर्भ से अपने बच्चे को जन्म दे सकता है। इसलिए यह चिकित्सा विज्ञान की मदद से एक बहुत आसान और सुरक्षित तरीका हो गया है। मगर नियम-कायदो में सख्ती न होने के कारण आज यह एक महंगा सौदा बन कर रह गया है। खासतौर पर विदेशी दंपति इसे व्यापार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं जो गलत है। गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर महिला के साथ ऐसे अमीर दंपति काफी खुलकर खेल खेलते हैं, जो अनुचित है। कई बार ऐसे लोग बच्चे का गर्भधारण या उसका जन्म तो होने देते हैं, परंतु बाद में लिंग भेद के चलते बेटी होने पर उसे स्वीकार करने से इनकार भी कर देते हैं।

इसलिए केंद्र सरकार ने इसके कानून में बदलाव कर इसे सख्त बनाने का प्रयास किया है। गरीब महिला को इस तरह के मामलों के लिए दूर रखा गया है। अब गरीब महिला इसमें सिर्फ लालच के साथ तैयार नहीं की जा सकेगी। अब वही महिला मां बन सकेगी जो पहले से भी मां हो और उसके बच्चे भी हों। मगर अभी भी सरोगेसी कानून में काफी बदलाव की जरूरत है, वरना गैरकानूनी ढंग से सरोगेसी की प्रथा यों ही चलती रहेगी और गरीब महिलाओं का शोषण होता रहेगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा।
’मनमोहन राजावत ‘राज’ शाजापुर, मप्र

कठघरे में हमलावर

इस साल की छह जनवरी की तारीख दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के लिए सबसे दुखद दिन के रूप में याद की जाएगी, क्योंकि लोकतंत्र के सीने में जिस तरह से उग्र राष्ट्रवादियों के समूह ने वाइट हाउस पर हमला किया था, वैसा परिदृश्य उस देश में इससे पहले कभी किसी ने नहीं देखा था। इनमें से एक आरोपी राबर्ट पाल्मर को अदालत ने 63 महीने सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावे डोनाल्ड ट्रंप के दो सबसे करीबी सहयोगियों- मार्क मीडोज और स्टीव बेंसोन को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने कांग्रेस की आपराधिक अवमानना का दोषी माना है।

अब देखना होगा कि इन्हें कब सजा सुनाई जाती है! यों 700 लोगों पर उस दिन कैपिटल हिल पर हमले करने के आरोप लगे हैं, मगर जो सूत्रधार था, उसे कठघरे में खड़ा करना जरूरी था। दुनिया यह जानना चाहती है कि जिस व्यक्ति के उकसावे पर भीड़ ने सदन पर हमला किया था, उसे कब और कैसे कठघरे पर लाया जाएगा या फिर उसे बख्श दिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो उसके पीछे क्या कारण होंगे?
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>