बजट सत्र 2022 में वित्त विधेयक (Finance Bill) और विनियोग विधेयक पर संसद में चर्चा हो रही हैं। सरकार का उद्देश्य इन विधेयकों के जरिये देश की कर प्रणाली से गैर जरुरी प्रावधानों को हटाना है। इस दौरान देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल पूछते हुए कहा कि वित्त विधेयक में 39 संशोधनों की आवश्यकता क्या है और आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act 1961) की जगह नए प्रत्यक्ष कर संहिता (Direct Tax Code) को लाने की मांग की। आइये जानते हैं आखिर क्या है प्रत्यक्ष कर संहिता (Direct Tax Code)?
प्रत्यक्ष कर संहिता के तहत सरकार का लक्ष्य देश में मौजूद सभी प्रत्यक्ष कर कानूनों को एक कानून बनाकर कर प्रणाली को आसान बनाना है। इसके तहत आयकर अधिनियम 1961 और अन्य प्रत्यक्ष कर अधिनियमों को हटाकर एक नई कर व्यवस्था को लागू की जाएगी है। 12 अगस्त 2009 को कांग्रेस सरकार के द्वारा पहली बार प्रत्यक्ष कर संहिता का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। जिसके बाद 2010 में ड्राफ्ट को संसोधित करके संसद में लाया गया था। फिर सरकार ने विभिन्न हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट 2012 में संसद को सौंपी। और 2014 में प्रत्यक्ष कर संहिता का एक संशोधित संस्करण जारी किया गया। हालांकि, उस वर्ष एनडीए सरकार के सत्ता में आने पर यह बिल संसद में पास न हो सका।
मोदी सरकार में प्रगति: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2017 में एक नए प्रत्यक्ष कर संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। प्रत्यक्ष कर संहिता पर टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट 19 अगस्त, 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी थी। फ़िलहाल यह रिपोर्ट अभी सार्वजानिक नहीं की गयी है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्यक्ष कर संहिता में 55 लाख रुपए तक कमाने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है। स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि का भी ऐलान किया जा सकता है जबकि इसमें आयकर अधिनियम से कम प्रावधान होगे।
देरी पर उठाया सवाल: पी चिदंबरम ने संसद में कहा कि साल दर साल ऐसे ही होता है। हमें इसे रोकना होगा। पूरे आयकर अधिनियम को एक प्रत्यक्ष कर संहिता द्वारा बदलना चाहिए। जब हम सरकार में थे, मैंने इसका मौसोदा तैयार करने में मदद की थी। उस समय प्रत्यक्ष कर संहिता के तीन संस्करण थें कई प्रावधान अब पुराने हो चुके हैं। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि इसमें नए प्रावधानों को जोड़कर नई प्रत्यक्ष कर संहिता तुरंत लाएं।