किंगफिशर एयरलाइंस चेयरमैन ने हाल ही में बकाए कर्ज का मामला सुलझाने के लिए बैंकों से संपर्क किया था। उन्‍होंने 2000 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव देकर सारे मामले को खत्‍म करने को कहा था। इंडियन एक्‍सप्रेस समूह के बिजनेस अखबार फाइनेंशियल एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि एसबीआई की अध्‍यक्षता वाले बैंकों के ग्रुप ने इसे खारिज कर दिया था। एक बैंक एग्‍जीक्‍यूटिव ने फाइनेंशियल एक्‍सप्रेस को बताया,’हम इतनी छोटी राशि स्‍वीकार नहीं कर सकते। इसलिए प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया।’ बता दें कि बैंक अपना बकाया वसूलने के लिए जोर लगा रहे हैं तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) माल्‍या के मामले में जांच शुरू कर दी है।

वहीं माल्‍या का दावा है कि उन्‍हें और उनकी कंपनियों को तकनीकी आधार पर विलफुल डिफॉल्‍टर्स घोषित किया जा रहा है। एसबीआई ने आरोप लगाया है कि कई बार किंगफिशर एयरलाइंस से यूबी ग्रुप की अन्‍य कंपनियों में फंड ट्रांसफर किए गए। अगस्‍त 2014 में भेजे गए नोटिस में आरोप लगाया गया कि यूनाइटेड ब्रूअरीज ने जानबूझकर देनदारों को पेमेंट नहीं किया। यह नोटिस बॉम्‍बे हाईकोर्ट में भी दाखिल किया गया है। गौरतलब है कि विजय माल्‍या पर 7000 करोड़ रुपये बकाया है।

वहीं ईडी ने माल्‍या को 2 अप्रैल को पेश होने को कहा है। माल्‍या इस समय लंदन में है। बैंकों के उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले ही वे लंदन भाग गए थे। बैंकों ने बकाया राशि की वापसी के लिए पिछले दिनों माल्‍या के किंगफिशर हाउस की नीलामी भी आयोजित की थी। लेकिन यह फ्लॉप रही थी। इसमें एक भी खरीदार नहीं आया था। माल्‍या की अन्‍य संपत्तियों में से बैंक गोवा स्थित किंगफिशर विलेज का स्‍वामित्‍व पाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि अभी तक उन्‍हें इस मामले में नाकामी मिली है। किंगफिशर हाउस पर इनकम टैक्‍स भी दावा कर रहा है।

माल्‍या की किंगफिशर एयरलाइंस देश की सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्‍टर कंपनी है। इसके अलावा विनसम डायमंड्स एंड ज्‍वैलरी, जूम डवलपर्स, सूर्यविनायक इंडस्‍ट्रीज और डेक्‍कन क्रॉनिकल हॉल्डिंग्‍स शामिल हैं। 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार विलफुल डिफॉल्‍टर्स पर सरकारी बैंकाें का लगभग 65335 करोड़ रुपये का बकाया है।  यह 3.06 लाख करोड़ रुपये के बेड लोन का 21 फीसदी है।