सरकार ने गुरुवार को कहा कि भारतीय बाजार किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा लंबे समय से प्रत्याशित ब्याज दर में बढ़ोतरी का यहां मामूली असर होगा। सरकार ने कहा कि इससे बड़े पैमाने पर विदेशी कोषों की निकासी नहीं होनी चाहिए। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लंबे समय अपनी नीतिगत ब्याज दर को शून्य के करीब रखने के बाद बुधवार रात इसमें 0.25 फीसद की बढ़ोतरी की। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने 2006 से अब तक पहली बार ब्याज दर में बढ़ोतरी की है।

इस पहल की आम तौर पर पहले से उम्मीद थी लेकिन यह चिंता थी कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी से भारत जैसे उभरते बाजारों से विदेशी कोषों की निकासी बढ़ सकती है। भारतीय बाजार ने हालांकि किसी तरह का नकारात्मक असर झटक दिया है और बंबई शेयर बाजार के सूचकांक में गुरुवार को 300 अंकों से ज्यादा की तेजी दर्ज हुई। इसके बारे में विश्लेषकों ने कहा कि बाजार ने अमेरिका में ब्याज दर की बढ़ोतरी को जज्ब कर लिया है।

फेडरल रिजर्व की पहल और भारत पर इसके असर के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बाजार अब अपने-आपको नई परिस्थिति के अनुरूप ढालेगा क्योंकि असमंजस खत्म गया है। फेडरल रिजर्व की पहल को अमेरिकी डालर का मूल्य बढ़ाने वाली पहल के तौर पर देखा जा रहा है और इस मुद्रा का इस्तेमाल भारत और अन्य देश कच्चा तेल समेत ज्यादातर कच्चा माल खरीदने-बेचने के लिए करते हैं। अपनी पहली प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि संदेह अब समाप्त हो गया है। बाजार को अब नई स्थिति से सामंजस्य स्थापित करना होगा। ब्याज दर में वृद्धि के मद्देनजर मुद्रा बाजार के व्यवहार और सरकार के संभावित पूंजी निकासी से निपटने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ दिन चीजों को देखते हैं।

वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि हमें इस पर विचार करना है कि आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व कैसे ब्याज दर बढ़ाएगा … हम ऐसे किसी भी उतार-चढ़ाव या संकट से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हैं जो फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से पैदा हो सकता है। ब्याज दर में बढ़ोतरी से फेडरल रिजर्व के इस भरोसे का संकेत मिलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2007-2009 के वित्तीय संकट के दौर से आम तौर पर उबर गया है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत अपेक्षाकृत सुकूनदेह स्थिति में है। मुद्रास्फीति घट रही है, राजकोषीय घाटे की स्थिति बेहद अच्छी है, बाहरी हालात भी बेहतर हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के बाजार में बेहद मामूली उतार-चढ़ाव होगा।

वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत बहुत अच्छी तरह तैयार है। हमारी राजकोषीय स्थिति मजबूत है, राजकोषीय प्रबंधन मजबूत है और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर दृढ़ है। इसलिए हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में आकर्षक बिंदु हैं। सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्रालय मुद्रा बाजार की निरंतर निगरानी कर रहा है क्योंकि जब ब्याज दर में बदलाव होता है तो वे ज्यादा तेजी से और सबसे अधिक उतार-चढ़ाव के साथ आगे बढ़ते हैं।

इधर, भारतीय रुपया गुरुवार दिन के कारोबार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले दो हफ्ते के उच्चतम स्तर 66.51 पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार पर असर के संबंध में बंबई शेयर बाजार के मुख्य कार्यकारी आशीष चौहान ने कहा कि भारतीय बाजार ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में संभावित बढ़ोतरी को पहले ही अपने निर्णयों के साथ जोड़ लिया था और अगले कुछ महीनों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं है।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि फेडरल रिजर्व की दरअसल उदार मौद्रिक नीति उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए अच्छा है और भारत को विदेशी कोषों द्वारा बड़ी बिकवाली की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के बाहरी घटनाक्रमों से निपटने के लिए तैयार हैं। भारत को कच्चे तेल की कीमत से फायदा हो रहा है और यहां कुल मिलाकर वृहद-आर्थिक स्थिरता भी है।

दास ने इससे पहले ट्विटर पर कहा था कि अनिश्चितता खत्म होने और भविष्य के लिए समावेशी परिदृश्य से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नीति निर्माताओं को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व का अर्थव्यवस्था में सुधार का भरोसा भारतीय निर्यात विशेष तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है। उन्होंने कहा कि ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीद पहले से थी, इसलिए मुझे लगता है कि बाजार ने इसे जज्ब कर लिया होगा और इसका कोई उल्लेखनीय असर नहीं होना चाहिए।

सुब्रमण्यम ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी, विश्व भर में जैसी उम्मीद थी उसके अनुरूप है और मजबूत वृहद-आर्थिक परिस्थितियों के कारण भारत पर इसका असर ‘बेहद मामूली’ होगा।
औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) के सचिव अमिताभ कांत ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें चिंता की जरूरत नहीं है। भारत काफी हद तक तैयार है। भारत इसके बावजूद वृद्धि दर्ज करता रहेगा। हम पर्याप्त तरीके से तैयार हैं।