अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारतीय निर्यात पर 25% का भारी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। ट्रंप के इस फैसले ने निवेशकों और नीति निर्माताओं, दोनों को हिलाकर रख दिया है। ट्रंप ने इसकी जानकारी बुधवार (30 जुलाई 2025) को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करके दी। आज यानी गुरुवार (31 जुलाई 2025) सुबह तक, गिफ्ट निफ्टी 0.67% की गिरावट के साथ 24,687 पर कारोबार कर रहा था। ट्रंप के 25% टैरिफ का भारतीय बाजारों पर क्या असर होगा? इस पर एक्सपर्ट का क्या कहना है, आइए जानते हैं…

ट्रंप का बयान

ट्रंप ने अपने प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, ‘हालांकि भारत हमारा मित्र है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं… और उनके पास किसी भी देश की तुलना में सबसे कठोर और अप्रिय गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं।’

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। ट्रंप ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा और रक्षा संबंधों पर भी निशाना साधा और 25% टैरिफ के अलावा अतिरिक्त जुर्माना लगाने की बात दी।

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भारत ही सिर्फ निशाने पर नहीं

ट्रंप टैरिफ के कारण अनिश्चितता का सामना करने वाला भारत अकेला नहीं था। ट्रंप ने ब्राजीलियाई वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने की भी घोषणा की। इस बीच, दक्षिण कोरिया 15% की दर से कठोर जुर्माने से बचते हुए एक समझौता करने में कामयाब रहा।

इस कदम के बावजूद, ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत के साथ व्यापार वार्ता जारी रहेगी, जिससे कुछ उम्मीद जगी है कि टैरिफ दर को अंततः अनुमानित 15% की सीमा तक कम किया जा सकता है।

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इन भारतीय सेक्टर पर पड़ सकता है असर

बाजार इस पर क्या प्रतिक्रिया देगा,यह अभी भी अनिश्चित है, लेकिन 25% टैरिफ भी परिणामों से अछूता नहीं है। कई भारतीय सेक्टर रिस्क में हैं। जिसमें कपड़ा और परिधान, ऑटो कंपोनेंट्स, चमड़े के सामान और जूते, रत्न और आभूषण आदि शामिल है। ये ऐसे सेक्टर हैं जहां अमेरिका एक प्रमुख खरीदार है और कीमतों में मामूली सी भी कमी प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुंचा सकती है।

क्या कह रहे हैं मार्केट एक्सपर्ट?

मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ’20-25% टैरिफ का आंकड़ा पहले ही बताया जा चुका है… पहली नजर में यह नकारात्मक प्रतीत होता है। लेकिन ट्रंप के मामले में, बेहतर होगा कि इंतजार किया जाए और बारीकियों को समझा जाए। कोई भी निश्चित नहीं हो सकता कि इस कहानी में अभी कितने मोड़ और मोड़ बाकी हैं।’

मार्केट दिग्गज अजय बग्गा ने कहा, “अमेरिका की दूसरी तिमाही की GDP दर 3% रही, जो अनुमान से अधिक रही। निजी पेरोल ग्रोथ भी अनुमान से अधिक रही। बैंक ऑफ कनाडा ने ब्याज दरें स्थिर रखीं। अमेरिकी फेड ने जैसी कि उम्मीद थी, ब्याज दरें स्थिर रखीं, हालांकि अध्यक्ष पॉवेल के प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक रुख के कारण सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना घटकर 41% रह गई। बैंक ऑफ जापान ने भी आज सुबह ब्याज दरें स्थिर रखीं। दो सकारात्मक व्यापारिक घटनाक्रम ये रहे कि दक्षिण कोरिया पर टैरिफ को 25% की धमकी से घटाकर 15% कर दिया गया और बारजिल पर 50% टैरिफ को 7 दिनों के लिए टाल दिया गया, जबकि कई वस्तुओं को इन टैरिफ से बाहर रखा गया है। तांबे का बाजार उथल-पुथल में है क्योंकि तांबे को छोड़कर तांबे पर 50% टैरिफ लागू कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी बाजार में तांबे की कीमतों में 20% की गिरावट आई।”

क्या यह सिर्फ शॉर्ट टर्म परेशानी है?

हमारी सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, अभी भी उम्मीद की एक किरण बाकी है। चूंकि ट्रंप ने बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे हैं, इसलिए एक्सपर्ट का मानना है कि टैरिफ दरों में अंततः नरमी आने की गुंजाइश है, खास कर यदि भारत ऊर्जा आयात पर अपने रुख में बदलाव करता है या क्षेत्र-विशिष्ट छूट पर बातचीत करता है।