Trump Tariff News: अमेरिका ने आज यानी 27 अगस्त, बुधवार से भारत से आने वाले माल पर 50 प्रतिशत तक के भारी-भरकम टैरिफ लागू कर दिया है। यूएसए के इस फैसले के साथ ही कपड़ों, टेक्सटाइल्स, रत्न-आभूषण, झींगे (shrimps), कालीन और फर्नीचर जैसे कम मार्जिन और श्रम-प्रधान उत्पादों (labour-intensive goods) का निर्यात अमेरिकी बाजार में अलाभकारी (unviable) यानी फायदेमंद नहीं रह जाएगा। इस कदम से भारत में बड़ी संख्या में कम-कुशल श्रमिकों की नौकरियां (low-skilled jobs) खतरे में पड़ सकती हैं।
ट्रेड एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि ट्रंप के नए टैरिफ के लागू होने के साथ ही अमेरिका में भारत के व्यापारिक निर्यात का मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 2025-26 में 40-45% तक गिर सकता है। थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि अमेरिका में उत्पाद निर्यात इस साल 2024-25 में लगभग 87 बिलियन डॉलर से घटकर 49.6 बिलियन डॉलर हो सकता है, क्योंकि अमेरिका में मूल्य के हिसाब से दो-तिहाई निर्यात 50 प्रतिशत टैरिफ से प्रभावित होगा, जिससे कुछ उत्पाद श्रेणियों (product categories) में प्रभावी टैरिफ दरें 60 प्रतिशत से अधिक हो जाएंगी।
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इन सेक्टर्स पर ट्रंप के टैरिफ का असर कम
अमेरिका जाने वाला करीब 30 प्रतिशत निर्यात, जिसकी कीमत FY25 में 27.6 बिलियन डॉलर आंकी गई है, उन पर ट्रंप के टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि फ़ार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद जैसी कैटेगिरीज को इससे छूट दी गई है। वहीं, करीब 4 प्रतिशत निर्यात, जिनमें मुख्य रूप से ऑटो पार्ट्स शामिल हैं, उन पर 25 प्रतिशत टैरिफ दर लागू होगी।
भारत को नुकसान से इन देशों को फायदा
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि भारत पर लगाए गए इस टैरिफ से विभिन्न सेक्टरों में होने वाले नुकसान का सीधा फायदा वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया और चीन व पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वन्दियों को सीधा फायदा मिलेगा। इन देशों पर ट्रंप प्रशासन ने भारत के मुकाबले कम टैरिफ लगाया है।
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क्यों लगा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ?
अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले भारतीय सामानों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ में जुलाई के अंत में ट्रंप द्वारा घोषित 25 प्रतिशत शुल्क और अगस्त की शुरुआत में घोषित अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क शामिल है। यह अतिरिक्त शुल्क नई दिल्ली द्वारा रूस से तेल खरीदने और मॉस्को से रक्षा आयात (defence imports) करने के लिए एक “दंड (penalty)” के तौर पर लगाया गया है। यह अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ बुधवार यानी आज से लागू हो जाएगा।
इतने ज्यादा टैरिफ का मतलब है कि भारतीय माल निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अप्रतिस्पर्धी बना दिया जाएगा, जो उन मुट्ठी भर व्यापार भागीदारों में से एक है जिनके साथ भारत का शुद्ध माल व्यापार अधिशेष (net goods trade surplus)है। भारत, गुड्स कैटेगिरी में अपने अन्य शीर्ष व्यापारिक साझेदारों (top trading partners) चीन, रूस और संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारी व्यापार घाटे का सामना कर रहा है।
अमेरिकी मांग और सेक्टोरल असर
ट्रंप के टैरिफ का असर काफी व्यापक हो सकता है क्योंकि अमेरिका, भारत से कुल एक्सपोर्ट का 20 प्रतिशत और भारत के GDP का 2 प्रतिशत हिस्सा रखता है। अर्ध-कुशल (semi-skilled) श्रमिकों (semi-skilled workers) के लिए गहरे संकट को देखते हुए, टेक्सटाइल और रत्न-आभूषण सेक्टर ने नौकरी के नुकसान को रोकने के लिए इंडस्ट्री को कोविड-19 जैसी सहायता देने की मांग की है, क्योंकि इन क्षेत्रों के लगभग 30 प्रतिशत निर्यात अमेरिकी बाजार में जाते हैं।
ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायमंड-पॉलिशिंग, झींगे और हम टेक्स्टाइल सेक्टर्स को अपनी सेल वॉल्यूम में कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ये सेक्टर्स अमेरिकी ट्रेड पर काफी ज्यादा निर्भर हैं। झींगा निर्यातकों के राजस्व में अमेरिका की हिस्सेदारी 48 फीसदी है, जिसका मतलब है कि समुद्री निर्यात क्षेत्र में भी मात्रा में भारी गिरावट देखने को मिलेगी।
इसके अलावा, घरेलू कपड़ा और कालीन दोनों महत्वपूर्ण निर्यात-उन्मुख क्षेत्र हैं। और कुल बिक्री में निर्यात का हिस्सा क्रमशः 70-75 प्रतिशत और 65-70 प्रतिशत है। क्रिसिल के अनुमान के अनुसार, इसमें से अमेरिका घरेलू कपड़ों के निर्यात में 60 प्रतिशत और कालीन के लिए 50 प्रतिशत निर्यात करता है।
अमेरिकी अर्थशास्त्री और 2008 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीत चुके पॉल क्रुगमैन ने 8 अगस्त को सबस्टैक पर एक पोस्ट में कहा कि प्रमुख अमेरिकी आंकड़े अब तेजी से ‘स्टैगफ्लेशनरी’ दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी अर्थशास्त्रियों के बीच इस बात पर सहमति है कि टैरिफ महंगाई बढ़ाने वाले (inflationary) होते हैं और केवल वही अर्थशास्त्री असहमत हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ट्रंप प्रशासन के लिए काम करते हैं।
नौकरियां जाने का खतरा
जीटीआरआई (GTRI) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, “जहां भारत के अमेरिका को होने वाले 30% निर्यात शुल्क-मुक्त रहेंगे और 4% पर 25% टैरिफ लगेगा, वहीं बाकी 66% निर्यात — जिसमें परिधान, टेक्सटाइल्स, रत्न-आभूषण, झींगे, कालीन और फर्नीचर शामिल हैं — पर 50% टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे वे प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगे। इन सेक्टर्स से होने वाला निर्यात 70% तक गिरकर 18.6 बिलियन डॉलर तक आ सकता है, जिससे अमेरिका को कुल शिपमेंट्स में 43% की गिरावट होगी और लाखों नौकरियों पर खतरा मंडराएगा। ”
परिधान, टेक्सटाइल्स, रत्न-आभूषण, झींगे, कालीन और फर्नीचर जैसे सबसे प्रभावित सेक्टर्स में संकट की आशंका के बीच, निर्यातक अब सरकार के दरवाज़े खटखटा रहे हैं। वे समर्थन की मांग कर रहे हैं क्योंकि ट्रंप के टैरिफ से आया संकट शुरू हो चुका है।
‘हजारों नौकरियां खतरे में पड़ेंगी’
भारत के रत्न और आभूषण निर्यातक अमेरिकी बाजार पर अपनी भारी निर्भरता को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि 50% का हाई टैरिफ भारतीय निर्यात को महंगा बना देगा और यह बाजार में प्रतिस्पर्धा खो देगा। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) ने चेतावनी दी है कि इस फैसले का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, ‘सप्लाई चेन टूटेगी, निर्यात रुकेंगे और हजारों नौकरियां खतरे में पड़ेंगी।’
अमेरिका इस सेक्टर का सबसे बड़ा बाजार है जहां भारत हर साल 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निर्यात करता है, जो उद्योग के वैश्विक व्यापार का करीब 30% है।
निर्यातकों ने सरकार से मांग की है कि वह ड्यूटी ड्रॉबैक या रिफंड जैसी योजना लाए, ताकि अगस्त से दिसंबर 2025 तक लगाए गए नए टैरिफ का 25–50% हिस्सा कवर हो सके।
इसी तरह, टेक्सटाइल उद्योग, जो बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार देता है, ने भी तुरंत नकद मदद और लोन चुकाने में छूट की मांग की है। उद्योग का कहना है कि 50% अमेरिकी टैरिफ से बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म हो सकती हैं। हाल ही में टेक्सटाइल मंत्रालय में हुई बैठक में इस क्षेत्र ने यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत तेज करने की भी अपील की, ताकि अमेरिकी बाजार में होने वाले घाटे को कुछ हद तक पूरा किया जा सके।
ट्रंप के टैरिफ से इन सामानों को मिली छूट
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुमान के अनुसार, भारत के लगभग 30% निर्यात (27.6 बिलियन डॉलर, 2024-25 में) पर अमेरिकी बाजार में कोई टैरिफ (ड्यूटी) नहीं लगेगा। मुख्य कैटेगिरीज में फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयां) शामिल हैं, जिनका निर्यात अमेरिका को लगभग 12.7 बिलियन डॉलर का है।
हालांकि, ट्रंप ने फार्मास्यूटिकल कंपनियों को चेतावनी दी है कि उन्हें अमेरिका में ही उत्पादन करना होगा। वरना अगले दो सालों में टैरिफ 200% तक बढ़ा दिए जाएंगे।
इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का बड़ा हिस्सा भी टैरिफ से मुक्त(exempt) है। लेकिन ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर ऐप्पल (Apple) भारत से प्रोडक्ट्स निर्यात करता रहा तो उस पर भी टैरिफ लगाया जाएगा। पिछले साल भारत से अमेरिका को 10.6 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात हुए थे। इसमें स्मार्टफोन, स्विचिंग और राउटिंग गियर, इंटीग्रेटेड सर्किट्स, अनमाउंटेड चिप्स, डायोड्स के वेफर्स और सॉलिड-स्टेट स्टोरेज डिवाइस शामिल थे।
टैरिफ-फ्री अन्य सामानों में रिफाइंड पेट्रोलियम फ्यूल्स और प्रोडक्ट्स (4.1 बिलियन डॉलर, 2024-25) शामिल हैं। इसके अलावा किताबें, ब्रोशर, प्लास्टिक, सेलुलोज ईथर्स, फेरोमैंगनीज, फेरोसिलिकॉन मैंगनीज, फेरोक्रोमियम और कंप्यूटिंग गियर जैसे मदरबोर्ड और रैक सर्वर भी शामिल हैं।
धातुओं में अनरॉड एंटिमनी, निकल, जिंक, क्रोमियम, टंगस्टन, प्लेटिनम, पैलेडियम, गोल्ड डोरे, सोने के सिक्के भी छूट की सूची में हैं। इसके साथ ही टेक्निकली-स्पेसिफाइड नेचुरल रबर, कोरल, एकाइनोडर्म्स और कटल बोन भी टैरिफ से मुक्त रहेंगे।