रिजर्व बैंक की ओर से मंगलवार को ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव बढ़ाए जाने के बाद एसबीआइ और निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक ने अपनी आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 फीसद तक कटौती की। बैंकों के इस कदम से मकान, दुकान और वाहनों के लिए कर्ज सस्ता होने का रास्ता खुल गया है। इन प्रमुख बैंकों के बाद दूसरे बैंक भी जल्द ही दरें घटा सकते हैं।
इससे पहले, बेमौसम बारिश से खाद्य पदार्थों के दाम पर असर पड़ने को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जिससे उद्योगों और ग्राहकों को निराशा हुई पर केंद्रीय बैंक ने बैंकों से पिछली कटौतियों का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए दबाव बढ़ा दिया था।
ब्याज दरों में कटौती नहीं करने के बैंकों के रुख को देखते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने गहरी नाराजगी जताई जिसके बाद घंटे भर की अवधि में तीन प्रमुख बैंकों ने कर्ज की अपनी आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 फीसद कटौती की घोषणा कर दी। स्टेट बैंक ने 10 अप्रैल से अपनी आधार दर 0.15 फीसद घटा कर 9.85 फीसद करने की घोषणा की जबकि आइसीआइसी बैंक ने आधार दर 0.25 फीसद घटा कर 9.75 फीसद कर दी।
राजन ने मंगलवार को 2015-16 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए बैंकों द्वारा धन की लागत ऊंची होने के चलते ब्याज दरें नहीं घटाने के तर्क को ‘बेतुका’ बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के दबाव और नकदी की अच्छी स्थिति को देखते हुए उन्हें ब्याज कम करना ही पड़ेगा, पर वे जितना जल्दी ऐसा करेंगे, अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही अच्छा होगा।
बैंकों ने धन की लागत को ऊंचा बताते हुए कहा कि कर्ज सस्ता होने में दो तीन महीने का समय लग सकता है। लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद सबसे पहले स्टेट बैंक, फिर एचडीएफसी बैंक और आइसीआइसीआइ बैंक ने कर्ज की आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 फीसद कटौती की घोषणा कर दी।
राजन ने कहा, ‘मुझे ऐसा परिवेश कहीं नहीं दिखाई देता जहां कर्ज वृद्धि सुस्त हो और बैंक नकदी पर बैठें हों और उनकी धन की सीमांत लागत कम हुई हो। यह मानना कि लागत कम नहीं हुई है बेतुका है, यह कम हुई है।’
राजन के इस दबाव भरे लहजे के बाद स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने पहले तो तुरंत दरों में कटौती से यह कहते हुए इनकार किया कि दरें कम होने में समय लगता है। इसमें दो से तीन माह लग सकते हैं। लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद स्टेट बैंक ने कर्ज की आधार दर में 0.15 फीसद कटौती की घोषणा कर दी।
राजन ने इससे पहले 2015-16 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुये वादा किया कि परिस्थितियों के अनुरूप तालमेल बिठाने वाली मौद्रिक नीति जारी रहेगी। उन्होंने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के अनुकूल आंकड़े आने पर दरों में कमी की जा सकेगी। यह भी देखा जाएगा कि पिछली दो कटौतियों का लाभ बैंकों ने आगे पहुंचाया या नहीं।
समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर (रिजर्व बैंक की अल्पकालिक उधार की दर) 7.5 फीसद और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार फीसद पर पूर्ववत रखी है। सीआरआर बैंक में जमा राशि का वह हिस्सा है अनुपात है जो उन्हें रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 21.5 फीसद पर यथावत रखा गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में बदलाव नहीं करने का विकल्प चुना है, इससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ना और निवेश चक्र में सुधार आना मुश्किल बना रहेगा। अब गेंद बैंकों के पाले में हैं कि वह परिस्थिति को देखते हुए आगे आएं।’
रिजर्व बैंक ने कहा है कि हाल की बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि से उत्तर और पश्चिम भारत में रबी फसल पर असर पड़ा है जिससे खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने का जोखिम है। राजन ने कहा कि इसके असर की नजदीकी से निगरानी होगी।
फरवरी में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.37 फीसद हो गई। इससे पिछले महीने यह 5.19 फीसद थी। हालांकि कई विश्लेषकों का मानना है कि यह जनवरी 2016 में छह फीसद के रिजर्व बैंक के लक्ष्य से काफी नीचे रहेगी।
बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में आइबीए के चेयरमैन और इंडियन बैंक के प्रमुख टीएम भसीन ने कहा बैंकों को उम्मीद है कि आने वाली तिमाही पिछले कुछ बरसों के मुकाबले बेहतर होगी। अन्य बैंकों ने इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा।
