भारतीय रिजर्व बैंक सोने के भंडार के मामले में दुनिया के दिग्गज केंद्रीय बैंकों में से एक है, जिसने फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में सबसे ज्यादा पीली धातु की खरीद की। आरबीआई का सोने का भंडार 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 653.01 टन तक पहुंच गया था। केंद्रीय बैंक ने बीते वित्त वर्ष में कुल 40.45 टन सोने की खरीद की थी। इससे पहले मार्च 2019 में उसके पास 612.56 टन सोने का भंडार था। फिलहाल आरबीआई के पास मौजूद सोने की कुल कीमत 30.57 अरब डॉलर यानी 2,32,000 करोड़ रुपये है। हालांकि कुल सोने के भंडार का करीब आधा हिस्सा 360.71 टन बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘रिपोर्ट ऑन मैनेजमेंट ऑफ फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व’ में यह जानकारी दी है।

भारत के कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में कीमत के आधार पर देखें तो सोने का हिस्सा बढ़कर 6.40 पर्सेंट हो गया है, जो मार्च 2019 में 5.59 पर्सेंट था। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से मार्च के दौरान भारत के अलावा यूएई, कजाखस्तान और उजबेकिस्तान के गोल्ड रिजर्व में इजाफा हुआ है। यूएई के पास 7 टन गोल्ड रिजर्व हैं, भारत के पास 6.8 टन स्वर्ण भंडार मौजूद है। वहीं, कजाखस्तान के पास 2.8 टन और उज्बेकिस्तान के पास 2.2 टन सोने का भंडार है। इस बीच भले ही तमाम केंद्रीय बैंकों का फोकस कोरोना वायरस के संकट से निपटने पर रहा हो, लेकिन सोने के भंडार पर कोई असर नहीं देखने को मिला है। इसके अलावा सोने की खरीद यह बताती है कि आज भी तमाम देशों के लिए गोल्ड रिजर्व कितना अहम है।

मार्च में समाप्त हुई तिमाही में तुर्की ने सबसे ज्यादा 72.7 टन सोने की खरीद की है और उसके स्वर्ण भंडार 485.2 टन पहुंच गया है। यह उसके कुल रिजर्व के 29 फीसदी के बराबर है। एक तिमाही में सोने की खरीद में सबसे आगे होने के साथ ही तुर्की पूरे फाइनेँशियल ईयर में ही अव्वल रह है। हालांकि रूस के केंद्रीय बैंक ने एक अप्रैल से सोने की खरीद को सस्पेंड करने का ऐलान किया है। लगातार 4 सालों तक 200 टन से ज्यादा की खरीद के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ रशिया ने यह फैसला लिया है। अब यदि सोने की बिक्री की बात करें तो श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने आखिरी तिमाही में सबसे ज्यादा 5.8 टन सोना बेचा है। पहले उसका स्वर्ण भंडार 12.9 टन था, जो अब घटकर 6.7 टन रह गया है। इसके अलावा जर्मनी ने 2.3 टन और ताजिकिस्तान ने 2.1 टन सोना बेचा है।

जानें, क्यों सोना खरीदते हैं दुनिया भर के केंद्रीय बैंक
दरअसल केंद्रीय बैंक सोना इसलिए खरीदते हैं ताकि अपनी मुद्रा के अवमूल्यन की स्थिति में वह सोने के सहारे डॉलर से निपट सकें। सोना खरीदने से अमेरिकन डॉलर पर निर्भरता कैसे कम होती है, इसे मोटे तरीके से यूं समझा जा सकता है। ज्यादातर देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार को अमेरिकी डॉलर में रखते हैं। कोई देश अपनी मुद्रा खर्च कर डॉलर लेता है। ऐसे में अगर डॉलर मजबूत होता है या उस देश की मुद्रा कमजोर होती है तो उसे डॉलर की खरीद करने में या अन्य देनदारियां डॉलर में चुकाना खासा महंगा पड़ता है। इसके बदले सोने के पर्याप्त भंडारण की स्थिति में केंद्रीय बैंक सोने को मुद्रा में बदलकर अपनी देनदारियां चुका सकता है। इससे डॉलर पर आत्मनिर्भरता भी घटती है और सोने के दामों में अपेक्षाकृत स्थायित्व के कारण नुकसान भी कम होता है।

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