देश में एटीएम में पैसा ना होने की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं। कई जगह तो एटीएम में हफ्तों और महीनों तक पैसा नहीं मिलता है। अब इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सख्ती अपनाई है।
आरबीआई ने बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स से ऐसा सिस्टम अपनाने को कहा है जिससे एटीएम में नकदी की उपलब्धता की मॉनिटरिंग की जा सके। साथ ही इस सिस्टम के जरिए एटीएम में पैसा फिर से भरा जा सके। आरबीआई ने एटीएम में पैसा ना भरने पर नई पेनाल्टी स्कीम पेश की है। इसके तहत एटीएम में पैसा ना पाए जाने पर बैंकों पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह स्कीम 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो जाएगी।
महीने में 10 घंटे से ज्यादा पैसा ना होने पर जुर्माना: आरबीआई की स्कीम के मुताबिक, एटीएम में एक महीने में 10 घंटे से ज्यादा कैश ना होने पर बैंक पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। प्रत्येक एटीएम के हिसाब से बैंक पर अलग-अलग जुर्माना लगाया जाएगा। व्हाइट लेवल एटीएम की स्थिति में यह जुर्माना उस बैंक पर लगाया जाएगा, जिस पर एटीएम में पैसा डालने की जिम्मेदारी होगी। किसी विवाद की स्थिति में यह जुर्माना एटीएम ऑपरेटर से वसूला जाएगा।
बैंकों को हर महीने की पांच तारीख को देनी होगी रिपोर्ट: एटीएम में कैश की उपलब्धता को लेकर बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर को हर महीने आरबीआई को रिपोर्ट देनी होगी। यह रिपोर्ट हर महीने की पांच तारीख को देनी होगी। यह स्कीम 1 अक्टूबर से लागू हो रही है। ऐसे में बैंकों और व्हाइट लेबल ऑपरेटर्स को 5 नवंबर या इससे पहले यह रिपोर्ट देनी होगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर बैंकों या एटीएम ऑपरेटर पर जुर्माना लगाया जाएगा।
आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय लागू करेंगे स्कीम: रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस स्कीम को क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से लागू किया जाएगा। क्षेत्रीय कार्यालय ही बैंकों से जुर्माना वसूलेंगे। किसी भी जुर्माने के खिलाफ बैंक या एटीएम ऑपरेटर एक महीने के अंदर अपील कर सकेंगे। यदि लॉकडाउन या स्थानीय प्रशासन के प्रतिबंधों के कारण बैंक और ऑपरेटर एटीएम में पैसा नहीं डाल पा रहे हैं तो आरबीआई जुर्माना नहीं लगाएगा।
विदेश में निवेश के नियम बदलेंगे: ईज ऑफ डूइंग को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने विदेश में निवेश और प्रॉपर्टी खरीदने से जुड़े नियमों में बदलाव का फैसला किया है। नए नियमों को लेकर आरबीआई ने ड्राफ्ट जारी किया है। इस पर सभी हितधारकों से 23 अगस्त तक सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों और प्रतिक्रिया मिलने के बाद इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा। अभी विदेश में निवेश और प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने के लिए अलग-अलग नियम हैं। आरबीआई ने इनको मिलाकर एक ही नियम बनाया है।