लंबे इंतजार के बाद सरकार ने शुक्रवार को एयर इंडिया (Air India) की नीलामी पर अंतिम मुहर लगा दी। टाटा समूह (Tata Group) सबसे बड़ी बोली लगाकर एयर इंडिया को वापस अपनी झोली में डालने में सफल रही। इस तरह 67 साल के अंतराल के बाद महाराजा (Maharaja) को फिर से टाटा के पंख लग गए हैं। भारत की पहली एयरलाइन (First Indian Airline) बनाने के बाद जेआरडी टाटा (JRD Tata) ने एयर इंडिया को एक समय दुनिया की नंबर वन विमानन कंपनी का दर्जा दिला दिया था। रतन टाटा (Ratan Tata) ने इसका किस्सा शेयर किया है।
Tata Sons ने लगाई 18 हजार करोड़ की बोली
निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management / DIPAM) के सेक्रेटरी तुहिन पांडेय ने एयर इंडिया की नीलामी के बारे में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि टाटा की बोली मंजूर की गई है। टाटा ने 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाकर स्पाइसजेट (Spicejet) के अजय सिंह (Ajay Singh) को मात दी। टाटा संस की बोली में 2,700 करोड़ रुपये नकद और 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान शामिल है।
इन शर्तों के साथ Tata को मिली है Air India
टाटा संस (Tata Sons) की बोली को कुछ शर्तों के साथ मंजूर किया गया है। टाटा को अगले एक साल तक एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों को बरकरार रखना होगा। दूसरे साल से कंपनी कर्मचारियों को वीआरएस दे सकती है। इसके अलावा टाटा को पांच साल तक एयर इंडिया ब्रांड और लोगो अपने पास रखना होगा। पांच साल बाद भी इन्हें सिर्फ किसी भारतीय नागरिक को ही ट्रांसफर किया जा सकेगा।
Ratan Tata ने किया JRD Tata को याद
बोली मंजूर होने के बाद रतन टाटा ने खुशी जाहिर करने में देरी नहीं की। उन्होंने तुरंत एयर इंडिया की घरवापसी का स्वागत करते हुए ट्वीट किया। इसके साथ जारी बयान में रतन टाटा ने स्वीकार किया कि एयर इंडिया को फिर से खड़ा करने में काफी मेहनत लगेगी। उन्होंने एयर इंडिया के जरिए विमानन क्षेत्र में टाटा की उपस्थिति मजबूत होने की भी उम्मीद जाहिर की।
तिरंगे को आसमान में लहराना था JRD Tata का सपना
रतन टाटा ने यह भी साझा किया कि कैसे जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया को दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइन में से एक बना दिया था। इस बारे में टाटा समूह के एक ब्लॉग में कुछ दिलचस्प किस्से साझा किए गए हैं। जेआरडी टाटा की अगुवाई में 1948 में एयर इंडिया की इंटरनेशनल सर्विस शुरू हुई। जेआरडी खुद भी मुंबई से लंदन की इस फ्लाइट में बैठे हुए थे और हर छोटी-छोटी चीजों पर बारीक नजर रख रहे थे। भारतीय तिरंगे को दुनिया के आसमान में शान से लहराते देखना जेआरडी टाटा का सपना था।
सीट से लेकर चाय के रंग पर JRD Tata रखते थे नजर
जेआरडी टाटा एयर इंडिया की सर्विस में खामियों के बारे में मैनेजमेंट को बराबर नोट भेजा करते थे। 1951 की बात है। यूरोप की एक फ्लाइट के बाद उन्होंने सीट को लेकर लिखा कि कुछ सीटें अन्य की तुलना में अधिक झुक पाती हैं। यह यात्रियों के लिए आरामदायक हो जाता है। मैं चाहता हूं कि सभी सीटों को ऐसा बनाया जाए। इसी तरह एक बार जेनेवा से आते हुए उन्होंने पाया कि चाय का रंग काला है। इस बारे में जेआरडी ने लिखा कि या तो चायपत्ती की क्वालिटी के कारण ऐसा हो रहा है या इसे बहुत पका दिया जा रहा है। इस कारण चाय और कॉफी के रंग में कोई अंतर नहीं रह गया है। उन्होंने जेनेवा के स्टेशन मास्टर को तत्काल इसे ठीक करने का सुझाव दिया।
1968 में दुनिया की सबसे बेहतरीन एयरलाइन थी Air India
ब्लॉग के अनुसार, जेआरडी के इन बारीक सुधारों ने एयर इंडिया को 1968 के डेलीमेल के सर्वे में दुनिया की सबसे बेहतरीन एयरलाइन बना दिया। सिंगापुर जब अपनी एयरलाइन शुरू करने की तैयारी कर रहा था तो वहां के प्रधानमंत्री ने टीम को एयर इंडिया की बेहतरीन क्वालिटी का केस स्टडी करने को कहा था।
इसे भी पढ़ें: JRD Tata ने बनाई थी पहली इंडियन एयरलाइन, 1946 में मिला था Air India नाम
67 साल बाद हुई है Maharaja की घर वापसी
अब एयर इंडिया की 67 साल बाद घर वापसी हो गई है। टाटा समूह के ऊपर इस बात की जिम्मेदारी रहेगी कि वह जेआरडी टाटा के द्वारा स्थापित स्टैंडर्ड को वापस पाए। रतन टाटा ने भी बयान में यह इरादा जाहिर करते हुए कहा है कि आज यदि जेआरडी टाटा हमारे बीच होते तो बेहद खुश होते।