रतन टाटा की ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स लगातार घाटे में चल रही है। इस कंपनी का घाटा बढ़ता जा रहा है और अब ये 13 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुका है।

चौथी तिमाही में घाटा 7,585 करोड़ रुपये: टाटा मोटर्स ने बताया कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उसका घाटा 7,585.34 करोड़ रुपये रहा। इसी अवधि में एक साल पहले कंपनी का घाटा 9,864 करोड़ रुपये था। कंपनी ने बताया कि इस अवधि में उसकी कुल आय 89,319 करोड़ रुपये रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 63,057 करोड़ रुपये थी।

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान टाटा मोटर्स का घाटा 13,395.10 करोड़ रुपये रहा, जबकि इस दौरान कुल आय 2,52,437.94 करोड़ रुपये रही। कंपनी को वित्त वर्ष 2019-20 में 11,975 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि इस दौरान उसकी कुल आय 2,64,041 करोड़ रुपये थी। (ये पढ़ें-मुकेश अंबानी से ज्यादा है इन दो भाइयों की सैलरी, रिलायंस में मिली है बड़ी जिम्मेदारी)

बेचने की आई थी नौबत: करीब डेढ़ दशक पहले घाटे और ​सुस्त बिजनेस की वजह से रतन टाटा ने कार बिजनेस को बेचने का फैसला लिया था। इस बिजनेस को खरीदने के लिए अमेरिका की कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने दिलचस्पी भी दिखाई थी। जब रतन टाटा अमेरिका में फोर्ड के दफ्तर गए तो वहां अधिकारियों का व्यवहार थोड़ा अपमानजनक रहा।

दरअसल, फोर्ड के अधिकारियों ने रतन टाटा से ये तक पूछ दिया कि जब आप कुछ नहीं जानते तो कार बनाना शुरू ही क्यों किया था? फोर्ड के अधिकारी ऐसा महसूस कराना चाह रहे थे कि वो टाटा के कार कारोबार को खरीदकर एहसान करने वाले हैं। इसके बाद से ही रतन टाटा ने डील से अपना इरादा बदल लिया। (ये पढ़ें-क्या करते हैं मुकेश अंबानी के समधी)

इसके कुछ साल बाद टाटा ने ही फोर्ड के जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड्स को खरीद लिया। इस तरह से रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला लिया था। हालांकि, इस अपमान का जिक्र कभी रतन टाटा ने खुद नहीं किया। ये किस्सा टाटा के शीर्ष अधिकारी प्रवीण कादले ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया था। प्रवीण उन लोगों में से हैं जो रतन टाटा के साथ डील के लिए गए थे।