क्या रेलवे का निजीकरण (Privatisation) हो जाएगा? काफी लंबे समय से रेलवे के प्राइवेटाइज़ेशन को लेकर खबरों का बाजार गर्म था। अब लोकसभा में बुधवार को Railways (Amendment) Bill 2024 पास हुआ। नए रेलवे बिल के बाद रेलवे बोर्ड की कार्यप्रमाली और स्वतंत्रता को बढ़ाने के लिए मौजूदा रेलवे कानूनों में संशोधन होगा। संसद के निचले सदन में लंबी बहस के बाद इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सरकार ने आश्वासन दिया कि यह बिल राष्ट्रीय कैरियर के निजीकरण का संकेत बिल्कुल नहीं है।

निजीकरण के डर को सरकार ने किया खारिज

लोकसभा में बहस के दौरान, जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन सभी दावों को खारिज कर दिया जिनमें इस संशोधन से रेलवे के निजीकरण की बात कही गई थी। उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे को लेकर ‘फर्जी कहानी’ गढ़ने का आरोप लगाया और कहा कि संशोधन का उद्देश्य सिर्फ भारतीय रेलवे में ऑपरेशनल क्षमता को सुधारना है।

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अपने भाषण में रेल मंत्री ने कहा, ‘संविधान को लेकर उनका (विपक्ष) फेक नरैटिव (फर्जी कहानी) पहले ही असफल हो चुकी है और अब इस नई फर्जी कहानी गढ़ने से भी कुछ नहीं होगा।’ उन्होने विपक्ष से जनता को भ्रमित ना करने की अपील की और रेलवे सेक्टर के लक्ष्यों को बेहतर बनाने के लिए एकता बनाए रखने की अपील की।

रेलवे (संशोधित) बिल 2024 की बड़ी बातें: Highlights of the Railways (Amendment) Bill 2024

संशोधन का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को अधिक स्वायत्तता और ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करके भारतीय रेलवे के भीतर शासन और निर्णय लेने कीक्षमता देता है। इस बिल के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

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बढ़ी हुई स्वतंत्रता: रेलवे बोर्ड की स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करना।

परिचालन दक्षता: रेलवे परिचालन की समग्र कार्यक्षमता और जवाबदेही में सुधार के उपाय पेश करना।

मॉडर्न प्रैक्टिस के साथ तालमेल: बेहतर सर्विस डिलीवरी के लिए प्रशासनिक ढांचे को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित (Align) करना।

विपक्ष की आलोचना और व्यवधान (Opposition Criticism and Disruptions)

पिछले एक सप्ताह से लोकसभा में बिल को लेकर लगातार उठने वाले सवालों के चलते बिल पर होने वाली बहस में देरी हुई है। विपक्षी नेताओं ने चिंता जाहिर की है कि इस संशोधन से रेलवे के निजीकरण का रास्ता बन सकता है। और ऐसा होने से आम नागरिकों के लिए रेलवे सर्विसेज की अफॉर्डेबिलिटी और एक्सेसिबिलिटी नहीं रहेगी।

नहीं हो रहा रेलवे का निजीकरण

अपने भाषण के अंत में अश्निनी वैष्णव ने अपील की संसद के सदस्य, गलत जानकारी को ना फैलाएं और रचनात्मक बातचीत पर ध्यान दें। उन्होंने कहा, ‘कुछ सदस्यों ने कहा है कि इस नए रेलवे बिल के आने से रेलवे के निजीकरण के मौका बढ़ जाएगा, लेकिन यह पूरी तरह से निराधार बात है।’