रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं राजनीतिक दलों ने इस मामले में सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि राजन को दूसरा कार्यकाल न देने के लिए यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की साजिश है। राजन ने शनिवार (18 जून) को सबको हैरान करते हुए घोषणा की थी कि उनकी दूसरा कार्यकाल लेने में रुचि नहीं है। अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अपशकुन बताया है।
इस बीच, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा शेयर बाजारों ने अपनी निगरानी तथा जोखिम प्रबंधन प्रणाली को मजबूत किया है, जिससे रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन द्वारा दूसरा कार्यकाल नहीं लेने की घोषणा के बाद सोमवार (20 जून) को बाजार खुलने पर उतार-चढ़ाव से बचाया जा सके।
राजन के उत्तराधिकारी के रूप में डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल, पूर्व कैग विनोद राय, एसबीआई प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु तथा आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास शामिल हैं। राजन के उत्तराधिकारी के रूप में जिन नामों पर अटकलें चल रही हैं उनमें पटेल को रिजर्व बैंक में महंगाई के मोर्चे पर राजन का लेफ्टिनेंट कहा जाता है। वहीं एसबीआई चेयरपर्सन के रूप मे भट्टाचार्य का कार्यकाल भी सितंबर में समाप्त हो रहा है। इसी महीने राजन का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है।
पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राय को 2जी घोटाला खोलने वाला माना जाता है। इस समय वह नवगठित बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) के प्रमुख हैं, जो सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियुक्ति के अलावा बैंकिंग सुधारों के बारे में सलाह देगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु, राजस्व सचिव शक्तिकान्त दास, वित्त मंत्री के पूर्व सलाहकार पार्थसारथी शोम, ब्रिक्स बैंक के प्रमुख के वी कामत तथा सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा का नाम भी चर्चा में है। राजन की तरह सिन्हा को पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में सेबी का चेयरमैन बनाया गया था और राजग सरकार ने इस साल उन्हें विस्तार दिया था।
सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि कुछ भाजपा और आरएसएस नेता उनके खिलाफ लामबंद हो रहे थे। उन्होंने इसे देश के लिए बहुत अप्रिय घटना बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि राजन जैसा काबिल आदमी इस सरकार को चाहिए ही नहीं। राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि राजन के फैसलों से लोग काफी सुरक्षित महसूस कर रहे थे। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार फरार सरकार कारोबारी विजय माल्या को रिजर्व बैंक का गवर्नर बना सकती है क्योंकि उन्हें ‘बैंकिंग व्यवस्था’ का महान अनुभव है।
राजन के खिलाफ अभियान छेड़ने वाला भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने राजन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वास्तविकता को छुपाने के लिए गवर्नर जो भी ओट ले रहे हों लोगों को उससे कुछ मलाल नहीं करना चाहिए और उन्हें अलविदा करना चाहिए।
केंद्रीय बैंक गवर्नर के लिए जिन अन्य नामों पर अटकलें चल रही हैं उनमें रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन और सुबीर गोकर्ण, पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिड़ी तथा प्रबुद्ध अर्थशास्त्री और वैद्यनाथन शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों से संपर्क नहीं हो पाया। मोहन ने कहा कि अभी उनकी उम्मीदवारी पर बात करना जल्दबाजी होगा।
‘आरएक्जिट’ की घबराहट से निपटने को सेबी, एक्सचेंजों ने निगरानी बढ़ाई
इस बीच, बैंक और फॉरेक्स डीलर भी विशेषरूप से डॉलर की अत्यधिक मांग की स्थिति से निपटने को तैयार हैं। माना जा रहा है कि अंतत: राजन के सितंबर में गवर्नर पद से हटने के हद विदेशी निवेशक घबराहट में निकासी करेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारतीय पूंजी बाजार की जोखिम प्रबंधन तथा निगरानी प्रणाली काफी मजबूत है। किसी प्रतिकूल असर से बचने के लिए इस प्रणाली को और मजबूत किया गया है।
नियामक और एक्सचेंजों की निगाह उन लोगों पर भी रहेगी जो शेयरों और डेरिवेटिव्स में इस उतार-चढ़ाव वाले रुख का फायदा उठाना चाहेंगे। इनमें अन्य विदेशी मुद्राओं से संबद्ध रुपए के उतार-चढ़ाव से जुड़े लोग भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि इस बात की भी निगरानी की जाएगी कि ब्रोकर, पोर्टफोलियो प्रबंधक तथा अन्य बाजार इकाइयां छोटे खुदरा निवेशकों को वायदा और विकल्प में भारी लाभ का लालच देकर लुभा नहीं सकें।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एकमात्र राहत की बात यह है कि राजन ने इस घोषणा के लिए शनिवार (18 जून) का दिन चुना। यदि वह किसी अन्य दिन यह घोषणा करते तो मजबूत जोखिम प्रबंधन तथा निगरानी प्रणाली के बावजूद इसका अधिक गंभीर असर देखने को मिलता।