स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) के ग्राहकों के लिए दो राहत देने वाली खबरें सामने आई हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर एकाउंट ऑफ इंडिया ICAI पीपीएफ की वार्षिक जमा राशि को बढ़ाकर तीन लाख करने की सिफारिश की है। वहीं आरबीआई की ओर से कहा गया है कि SBI, ICICI व HDFC बैंक एक महत्वपूर्ण बैंक हैं, इसके असफल होने पर देश की इकॉनोमी में बड़ा नुकसान होगा। इस कारण इसके असफल होने की गुंजाइश कम है। इसके अलावा तीसरी खबर एसबीआई ग्राहकों को झटका देने वाली है, जिसमें अब IMPS पर 20+ रुपए जीएसटी चार्ज देना होगा।
SBI, ICICI व HDFC बैंक के डूबने की गुंजाइश नहीं: RBI
RBI जानकारी देते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई बैंक, निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक व एचडीएफसी बैंक (डी- एसबीआई) में बने हुए हैं। जिनके असफल होने पर देश की इकॉनोमी पर बुरा असर पड़ सकता है। एसबीआई को ऐसे बैंक के रूप में माना जाता है जो ‘टू बिग टू फेल (TBTF)’ हैं। टीबीटीएफ संकट के समय बैंकों के लिए सरकारी समर्थन देती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIB के रूप में घोषित किया था। 31 मार्च 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर, एचडीएफसी बैंक को भी डी-एसआईबी के रूप में रखा गया था। इस कारण इनके असफल होने की संभावना कम है।
2 लाख से 5 लाख पर देना होगा नया स्लैब चार्ज
अगर आप एसबीआई के ग्राहक हैं तो आपके लिए एक दिक्कत वाली खबर है। अब अगर आप ब्रांच में जाकर ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपको नया स्लैब चार्ज देना होगा। 1000 रुपए तक के ट्रांजैक्शन पर कोई चार्ज नहीं देना होता है, जबकि 1,000 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक के ट्रांजैक्शन पर उन्हें 1 फरवरी से 2 रुपये से लेकर 12 रुपये + GST सर्विस चार्ज देना होगा। इसके साथ ही SBI ने 2 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपए पर नया स्लैब के अनुसार 20 रुपए + GST देना होगा। यह नई स्लैब 1 फरवरी से लागू होगी। हालांकि, SBI ग्राहक YONO एप के माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग या फिर मोबाइल बैंकिंग से IMPS ट्रांजैक्शन करते हैं, तो उन्हें 5 लाख रुपये तक के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।
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पीपीएफ की लिमिट बढ़ाने की मांग
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने पीपीएफ की अधिकतम वार्षिक जमा सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की सिफारिश की है। कहा गया है कि कई सालों से पीपीएफ की अधिकतम जमा सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आईसीएआई का मानना है कि पीपीएफ जमा सीमा में वृद्धि से सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में घरेलू बचत को बढ़ावा मिलेगा और इसका मुद्रास्फीति विरोधी प्रभाव होगा। ICAI ने कहा है कि पीपीएफ योगदान की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर देना चाहिए। वर्तमान में यह सीमा 1.5 लाख रुपए है।