केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में चार सहकारी बैंकों की वित्तीय हालत सुधारने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें कैश विड्राल की समय सीमा भी तय की गई थी। साथ ही इन बैंकों के लोन देने और किसी तरह के निकासी भी रोक लगाई गई थी। अब फिर से रिजर्व बैंक ने दो और सहकारी बैंकों पर प्रतिबंध लगाया है। उत्तर प्रदेश स्थित दो सहकारी बैंकों की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के मद्देनजर, भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि उसने फंड निकासी सहित कई प्रतिबंध लगाए हैं।

आरबीआई के अनुसार, विशेष रूप से दो कर्जदाता लखनऊ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक और अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीतापुर पर प्रतिबंध लगाया गया है। पीटीआई के मुताबिक, बैंकिंग नियमन अधिनियम के तहत प्रतिबंध छह महीने तक लागू रहेंगे। वहीं लखनऊ शहरी सहकारी बैंक के ग्राहक 30 हजार रुपए से अधिक की निकसी नहीं कर पाएंगे। वहीं अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीतापुर के ग्राहक 50,000 रुपए से अधिक की निकासी नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा दो बैंक, आरबीआई की अनुमति के बिना, ऋण नहीं दे सकते हैं, कोई निवेश नहीं कर सकते हैं, कोई दायित्व नहीं उठा सकते हैं – जिसमें धन उधार लेना और नई जमा की स्वीकृति , संपत्तियों या संपत्तियों का वितरण या निपटान आदि शामिल है।

वहीं इस बीच आरबीआई ने बुधवार को सुझाव दिया कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान अपनी शाखाओं में कागज के उपयोग को समाप्त करने के साथ-साथ एटीएम में ई-रसीद पेश करने पर विचार कर सकते हैं। ‘जलवायु जोखिम और सतत वित्त’ पर एक चर्चा पत्र में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि वह जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर एक रणनीति तैयार करना चाहता है, मानक-सेटिंग में भागीदारी से सीखता है।

आरबीआई ने एक बयान में यह भी कहा कि “बैंकिंग प्रक्रियाओं को और अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाकर हरित करने के लिए, आरई अपने संचालन में कागज के उपयोग को समाप्त करके अपनी शाखाओं को हरी शाखाओं में परिवर्तित करने पर विचार कर सकते हैं।”