पेंशन नियामक पीआरएफडीए के तहत दो प्रमुख पेंशन योजनाओं के तहत अंशधारकों की संख्या इस साल नवंबर में 22 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 4.75 करोड़ हो गयी। पेंशन कोष विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने शुक्रवार को कहा कि नवंबर 2021 के अंत तक राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत विभिन्न योजनाओं में अंशधारकों की संख्या सालाना आधार पर 22.45 प्रतिशत बढ़कर 475.87 लाख हो गई। नवंबर 2020 में यह संख्या 388.62 लाख थी।

पीएफआरडीए के अनुसार 30 नवंबर, 2021 तक प्रबंधन के तहत कुल पेंशन संपत्ति बढ़कर 6,87,468 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। सालाना आधार पर इसमें 29.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पीएफआरडीए के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों की श्रेणी में अंशधारकों की संख्या क्रमश: 4.71 प्रतिशत और 9.74 प्रतिशत बढ़कर 22.44 लाख और 54.44 लाख हो गयी।

वहीं, कॉरपोरेट और एनपीएस के सभी नागरिक क्षेत्र में अंशधारकों की संख्या क्रमशः 23.73 प्रतिशत और 33.81 प्रतिशत बढ़कर 13.19 लाख और 18.88 लाख पर पहुंच गयी। एनपीएस लाइट के तहत ग्राहकों की संख्या हालांकि 2.78 प्रतिशत घटकर 41.92 लाख हो गई। अटल पेंशन योजना के तहत अंशधारकों की संख्या आलोच्य महीने में 30.16 प्रतिशत बढ़कर 3.25 करोड़ पहुंच गयी। पीएफआरडीए की दो प्रमुख पेंशन योजनाएं एनपीएस और अटल पेंशन योजना हैं।

2016 से अब तक इन कर्मियों को दिव्यांगता पेंशन- सरकारः इस बीच, सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने 2016 से अब तक सशस्त्र बलों के 59,190 कर्मियों को दिव्यांगता पेंशन दी है। सेवा के दौरान किसी शारीरिक दिव्यांगता की वजह से सेवा से बाहर हो गए सशस्त्र बल कर्मी दिव्यांगता पेंशन के लिए पात्र होते हैं। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2016 में 6,851 कर्मियों को दिव्यांगता पेंशन दी गयी, वहीं 2017 में यह संख्या बढ़कर 10,554 और 2018 में 12,321 हो गयी। उन्होंने उत्तर में कहा कि 2019 में 12,971 कर्मियों को पेंशन दी गयी, 2020 में 12,149 और मौजूदा वर्ष में 4,344 लोगों को दिव्यांगता पेंशन दी गयी।

प्रादेशिक सेना के पूर्व सैनिक को विकलांगता पेंशन देने का निर्देशः उधर, उच्चतम न्यायालय ने 80 प्रतिशत विकलांगता से पीड़ित प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के एक जवान को विकलांगता पेंशन देने का शुक्रवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि सेना के लिए पेंशन नियमन, 1961 के अनुसार, एक व्यक्ति सैन्य सेवा के दौरान बिना-युद्ध के ही विकलांग हो जाता है और उसकी विकलांगता का प्रतिशत 20 फीसदी से अधिक होता है तो वह नि:शक्तता पेंशन का पात्र होगा।