पिछले कुछ सालों के दौरान देश के मेट्रो शहरों में डिलीवरी पैकेज की दरों में काफी इजाफा हुआ है। टियर-1 शहरों की बात करें तो सिजेरियन डिलीवरी का खर्च औसतन एक लाख रुपए जबकि कुछ अस्पतालों में तो यह करीब 2 लाख से अधिक पहुंच जाता है। इसके साथ यदि नए बच्चे के पैदा होने के बाद के खर्च को जोड़ दिया जाए तो यह और भी अधिक हो जाता है, जिससे नए जोड़ों पर अधिक आर्थिक दबाब पड़ता है। हम आपको बता दें, आप इन खर्चों को बड़ी आसानी से इंश्योरेंस के जरिए कवर कर सकते हैं। इसके लिए बाजार में कई इंश्योरेंस प्लान्स भी मौजूद हैं। आइए जानते हैं….
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर: देश में ज्यादातर छोटी- बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है। यह शुरू से बिना किसी वेटिंग पीरियड के मैटरनिटी खर्चों को कवर करता है, लेकिन कई बार कर्मचारियों को खुद इस ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के लाभ के बारे में जानकारी नहीं होती है।
पर्सनल इंश्योरेंस कवर: ऐतिहासिक रूप से पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कभी भी मैटरनिटी बेनिफिट को कवर नहीं किया जाता है, लेकिन हाल के सालों में कुछ इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से एक निश्चित वेटिंग पीरियड के बाद इंश्योरेंस धारकों को मैटरनिटी बेनिफिट दिए जाते हैं। वेटिंग पीरियड कंपनियों के हिसाब से बदल सकता है यह 9 महीने से लेकर 24 महीने तक हो सकता है। फिलहाल जो कंपनियां मैटरनिटी बेनिफिट हेल्थ इंश्योरेंस में दे रही है उनमें केयर हेल्थ, फ्यूचर जनरल और आईसीआईसीआई लॉमबर्ड शामिल हैं। यहां यह भी जनना जरुरी है कि इन इंश्योरेंस प्लान के साथ 15 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक की सब-लिमिट दी जाती है।
नए बच्चे के कवर: जैसे हमें मैटरनिटी कॉस्ट कवर करनी होती है, ठीक उसी प्रकार हमारे लिए नए बच्चे के लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव प्लान की जरुरत है। यदि बच्चे के जन्म के लिए किसी तरह की कोई समस्या आए तो आर्थिक दबाव का सामना न करना पड़ें।
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में इसे पहले दिन से कवर किया जाता है जबकि पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस में इसे बच्चे के जन्म के 91 दिन बाद शामिल किया जाता है। वहीं, कुछ हेल्थ इंश्योरेंस अतिरिक्त प्रीमियम के साथ नए बच्चे के लिए भी कवर उपलब्ध कराती है। आप निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान बच्चे के पैदा होने के पहले दिन से कवर उपलब्ध कराता है। हालांकि, इसमें 35 हजार से 1 लाख तक की लिमिट होती है।