देश में नए श्रम कानून को जल्द पेश किया जाएगा, यह सभी राज्यों द्वारा पारित नहीं किए गए हैं। नए श्रम कानून के लागू होने के बाद प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारियों के लिए टेक होम वेतन, भविष्य निधि में योगदान और काम के घंटों में बदलाव हो जाएगा। इस कानून के लागू होने से निजि क्षेत्र के कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा।
नए लेबर कोड में प्रस्तावित बदलाव से कर्मचारी के रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी की रकम में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार 10 से अधिक कर्मचारियों वाली एक निजी कंपनी में एक कर्मचारी पांच साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी लाभ का दावा करने का हकदार है। नए लेबर कोड के तहत 29 केंद्रीय श्रम कानूनों की समीक्षा और संयोजन करके चार नए श्रम संहिताएं बनाई गई हैं।
जल्द ही लागू होने वाले श्रम कानून के तहत केंद्र की योजना तय अवधि या कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी योग्यता सीमा को केवल एक वर्ष की सेवा तक कम करने की है, लेकिन किसी कंपनी के नियमित पेरोल पर रहने वालों के लिए ग्रेच्युटी मानदंड समान रहते हैं।
नए सामाजिक सुरक्षा और औद्योगिक संबंध संहिता के तहत सरकार ने तय समय के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी भुगतान के लिए पांच साल के सेवा नियम को आसान बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। इन कर्मचारियों को अनुबंध समाप्त होते ही ग्रेच्युटी और लाभ भी समाप्त हो जाता था। सरकार का लक्ष्य अनुबंधित कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देकर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा को व्यापक बनाना है।
सरकार ज्यादातर मजदूर, फैक्ट्री संचालक, हेल्पर और ड्राइवर जैसे कर्मचारियों का लाभ देना है। ग्रेच्युटी की गणना नए दिशानिर्देशों में परिभाषित वेतन के आधार पर की जाएगी। हालांकि, नियमित कर्मचारी किसी कंपनी में पांच साल की निरंतर सेवा के बाद ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे।
मौजूदा कानून के अनुसार, ग्रेच्युटी की गणना मूल वेतन और महंगाई भत्ते के आधार पर की जाती है। सेवा के हर वर्ष के लिए, 15 दिनों के मूल वेतन और अंतिम आहरित वेतन के अनुसार महंगाई भत्ता का भुगतान ग्रेच्युटी के रूप में किया जाता है।
ग्रेच्युटी के कैलकुलेशन के लिए एक महीने को 26 दिन माना जाता है। ग्रेच्युटी राशि की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये है। नए श्रम संहिता में यह भी कहा गया है कि सकल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन के रूप में दिया जाना चाहिए। इससे कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की राशि बढ़ जाएगी। अगर कर्मचारी का मूल वेतन सकल राशि के 50 प्रतिशत से कम है, तो कंपनी या संस्था को पारिश्रमिक को रिन्यू करने की आवश्यकता है।