भविष्य निधि निकासी पर कर लगाए जाने के बजट प्रस्ताव से उपजे भ्रम को दूर करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि भविष्य निधि कोष में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारी के किए गए अंशदान के 60 प्रतिशत हिस्से पर मिलने वाले ब्याज पर ही कर लिया जाएगा। हालांकि, लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) की निकासी कर मुक्त बनी रहेगी। सरकार के इस फैसले का संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित कई केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने विरोध किया है। संगठनों ने सरकार के इस कदम को कामकाजी वर्ग पर हमला और दोहरे कर का स्पष्ट मामला बताया है।

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को कहा कि एक अप्रैल 2016 के बाद भविष्य निधि में किए गए अंशदान पर अर्जित ब्याज पर ही प्रस्तावित कर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीपीएफ पर ईईई यानी तीनों स्तर पर कोई कर नहीं लगेगा। कोष में योगदान के समय, उस पर प्रतिफल मिलने पर और निकासी के समय, तीनों स्तरों पर कर से छूट जारी रहेगी। पीपीएफ पर 100 प्रतिशत कर छूट होगी।’

अधिया ने कहा, ‘करीब तीन करोड़ लोग हैं जिनकी मासिक आय 15 हजार रुपए से कम है। ये ईपीएफ के पात्र सदस्य कहे जाते हैं। इन तीन करोड़ लोगों के लिए भविष्य निधि कराधान मामले में कोई बदलाव नहीं होगा। वे अपना 100 प्रतिशत मूलधन बिना किसी कर के वापस ले सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को अधिसूचना में स्पष्ट किया जाएगा।

वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में ईपीएफ निकासी के 60 प्रतिशत हिस्से पर अर्जित ब्याज पर कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, निकाली गई राशि को यदि फिर से सेवानिवृत्ति पेंशन कोष उत्पाद में निवेश किया जाता है तो इस पर पूरी तरह कर छूट होगी। अधिया ने कहा, ‘इस प्रस्ताव का मकसद राजस्व जुटाना नहीं है। हम चाहते हैं कि लोग पेंशन समाज की ओर बढ़ें। इसलिए हमने अन्य प्रोत्साहन दिए हैं जिनमें लंबी अवधि के सेवानिवृत्ति उत्पादों में निवेश पर कर छूट का प्रावधान है। हालांकि, ऐसे उत्पाद पर हमेशा कर लगता है, लेकिन यहां संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस को कोष हस्तांतरण करने पर छूट प्रदान की गई है।’

उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों की चिंता है जो 100 प्रतिशत राशि सेवानिवृत्ति के समय निकाल लेते हैं और पेंशन उत्पादों में निवेश नहीं करते, अन्यथा उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जिम्मेदारी सरकार पर आ जाती है।’ अधिया का कहना है कि सरकार ने वेतनभोगी वर्ग से कर लेने के लिए यह प्रावधान नहीं किया है बल्कि सरकार चाहती है कि लोग सेवानिवृत्ति के लिए बेहतर योजनाएं बनाएं, इसमें सरकार मदद करना चाहती है।

उन्होंने कहा, ‘हम कह रहे हैं कि ईपीएफ का 40 प्रतिशत हिस्सा सेवानिवृत्ति के समय उपलब्ध होगा। शेष 60 प्रतिशत के लिए हम आपको सेवानिवृत्ति पेंशन उत्पादों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इसलिए यदि आपकी कुल भविष्य निधि एक करोड़ है तो 40 लाख रुपए से आप मकान बनाइए या दूसरे काम कीजिए और बाकी 60 लाख रुपए आप सेवानिवृत्ति वाले पेंशन उत्पादों में निवेश कीजिए ताकि आपको पेंशन मिलती रहे।’

केंद्रीय श्रम संगठनों ने बजट में ईपीएफ निकासी पर कर के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है और उनमें से 11 ने सरकार के एकतरफा श्रम सुधार और ईपीएफ निकासी पर कराधान समेत श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में 10 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की योजना बनाई है।

बीएमएस के महासचिव व्रजेश उपाध्याय ने कहा, ‘यह कामगार विरोधी बजट प्रस्ताव है। पीएफ पर कर लगाना दोहरा कराधान है। भविष्य निधि वेतन से काटा जाता है, जिस पर कर्मचारी पहले की टैक्स अदा कर चुका होता है। कर नई आय पर लगाया जाता है। भविष्य निधि धन सृजन या नई आय नहीं है।’ अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि इस मुद्दे को संसद में बजट चर्चा के दौरान उठाया जाएगा। ईपीएफओ की ओर से सामाजिक सुरक्षा के लिए चलाई जाने वाली योजना इस समय पूरी तरह कर मुक्त है। फिलहाल सामाजिक सुरक्षा योजनाएं सेवानिवृत्ति कोष ईपीएफओ तीनों स्तर- जिनमें जमा, ब्याज संचय और निकासी- पर कर मुक्त है।

अर्जित ब्याज पर ही कर

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को कहा कि एक अप्रैल 2016 के बाद भविष्य निधि में किए गए अंशदान पर अर्जित ब्याज पर ही प्रस्तावित कर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, पीपीएफ के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीपीएफ पर ईईई यानी तीनों स्तर पर कोई कर नहीं लगेगा। ईपीएफ में 3.7 करोड़ सक्रिय अंशधारक हैं जिनमें ऊंचा वेतन पाने वाले कारपोरेट क्षेत्र के करीब 70 लाख कर्मचारी हैं जो ईपीएफ ब्याज निकासी के समय कर लगाए जाने के ताजा बजट प्रस्ताव के दायरे में आएंगे।

टैक्स के पीछे क्या है मंशा

राजस्व सचिव ने कहा, ‘ईपीएफ का 40 प्रतिशत हिस्सा सेवानिवृत्ति के समय उपलब्ध होगा। बाकी 60 प्रतिशत के लिए हम आपको सेवानिवृत्ति पेंशन उत्पादों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इसलिए यदि आपकी कुल भविष्य निधि एक करोड़ है तो 40 लाख रुपए से आप मकान बनाइए या दूसरे काम कीजिए और बाकी 60 लाख रुपए आप सेवानिवृत्ति वाले पेंशन उत्पादों में निवेश कीजिए ताकि आपको पेंशन मिलती रहे।’

सिर्फ इन्हें मिली है छूट

करीब तीन करोड़ लोग हैं जिनकी मासिक आय 15 हजार से कम है। ये ईपीएफ के पात्र सदस्य कहे जाते हैं। इनके लिए भविष्य निधि कराधान मामले में कोई बदलाव नहीं होगा। वे अपना 100 प्रतिशत मूलधन बिना किसी कर के वापस ले सकते हैं।