अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूएस ट्रेड कोर्ट द्वारा उनके ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को रोक दिए जाने के कुछ ही समय बाद ट्रुथ सोशल पर जाकर अपनी एक तस्वीर शेयर की, जिसमें लिखा था, “वह ईश्वर के मिशन पर हैं और जो आने वाला है उसे कोई नहीं रोक सकता।”
बुधवार को मैनहटन में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ( Court of International Trade) ने फैसला सुनाया कि ट्रंप के पास इन नए टैरिफ को लागू करने का कानूनी अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने क्या कहा?
न्यायालय ने फैसला सुनाया कि केवल कांग्रेस के पास अन्य देशों के साथ ट्रेड को प्रबंधित करने की संवैधानिक शक्ति है और राष्ट्रपति द्वारा इस अधिकार को आर्थिक आपात स्थितियों के दौरान भी नहीं बदला जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि उसका निर्णय इस बात पर आधारित नहीं था कि टैरिफ को बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल करना प्रभावी या बुद्धिमानी भरा था, बल्कि यह कि कानून इसकी अनुमति नहीं देता है।
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दो मुकदमें के जवाब में लिया गया था यह फैसला
यह फैसला दो मुकदमें के जवाब में लिया गया था। पहला एक लिबर्टी जस्टिस सेंटर द्वारा 5 छोटे अमेरिकी कारोबार की ओर से लाया गया था जो टैरिफ से प्रभावित देशों से आयात पर निर्भर हैं और दूसरा 13 राज्यों द्वारा दायर किया गया था। इसमें शामिल कारोबार, जिनमें न्यूयॉर्क से एक वाइन और स्पिरिट आयातक और एजुकेशनल किट और इंस्ट्रूमेंट बनाने वाली वर्जीनिया की एक कंपनी शामिल है। उनका तर्क है कि टैरिफ उनके अस्तित्व को खतरे में डालते हैं।
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टैरिफ के खिलाफ अतिरिक्त कानूनी मामले चल रहे हैं। ओरेगन के अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड, जिनके कार्यालय ने राज्य गठबंधन का नेतृत्व किया है उन्होंने टैरिफ को हानिकारक और गैरकानूनी बताते हुए आलोचना की।