सोमवार को कतर इकोनॉमिक फोरम में एशिया के सबसे अमीर शख्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी ने एक बयान दिया जिसका मतलब समझना काफी जरूरी है। उन्होंने फोरम में कहा कि उन्होंने उस दौरान कहा कि इस बात की कल्पना करना काफी मुश्किल है कि कोरोना महामारी के दौरान 4 जी कंयूनिकेशन नेटवर्क नहीं होता, तो भारत में क्या होता? इस सवाल का जवाब आप खुद भी तलाश कीजिए। क्योंकि मुकेश अंबानी ने जो सवाल उठाया वो वाकई विचारणीय है।
वास्तव में सोमवार को मुकेश अंबानी कतर इकोनॉमिक फोरम को संबोधित कर रहे थे। जिस दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के कई देशों के बीच में डिजिटल डिफ्रेंस को कम करना काफी जरूरी है। आज संचार माध्यम प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। जो दुनिया की इकोनॉमी को पटरी पर लाने में मददगार साबित हो सकता है।
भारत की सबसे टेलीकंयूनिकेशन कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का आह्वान किया था। जो देश के लिए महामारी में काम आई। इसी डिजिटल इंडिया की बदौलत महामारी में सामने आई चुनौतियों का सामना करने में सफल हो सके। अंबानी ने कहा कि मुझे गर्व है कि जियो 2018 तक देश में 4 जी नेटवर्क शुरू कर दिया था।
मुकेश अंबानी ने कहा कि मन में कई बार यह सवाल उठा कि अगर देश 4 जी नेटवर्क नहीं होता तो कोरोना के संकट का सामना किस प्रकार किया जाता? उन्होंने कहा कि इसी डिजिटल इंफ्रस्ट्रक्चर की वजह से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो सका। बच्चों को घर से पढ़ाई करने का मौका मिला। कंपनियों के काम में कोई रुकावट नहीं आई क्योंकि उनके इंप्याज वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से काम करते रहे। यह सब इसी 4 जी नेटवर्क की बदौलत रहा।
अंबानी ने कहा, डिजिटल और फिजिकल हेल्थ इंफ्रस्ट्रक्चर देश का नया चलन हो सकता है। उन्होंने दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए इस डिजिटल बुनियादी ढांचे को एक साथ आगे बढ़ाने पर जोर दिया। जोकि कोरोना संकट में काफी उपयोगी और सहयोगी रहा है। उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी जैसा संकट सदियों में होने वाला मानवीय संकट है और दुनिया इसके लिय तैयार नहीं थी। इस महासंकट ने पूरी दुनिया के लोगों की कड़ी परीक्षा ली। जिसका खामियाजा दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। अंत में वायरस नहीं मानवीय शक्ति जीतेगी।

