भारत के 45 अरब डॉलर के निर्यात पर अब भारी टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है। एसबीआई का अनुमान है कि भारत का व्यापार अधिशेष (trade surplus) अब घाटे में बदल सकता है, जिससे जीडीपी पर दबाव बढ़ेगा।
आज 27 अगस्त से वॉशिंगटन, भारत से आयात होने वाले अधिकतर सामानों पर 50% टैरिफ लगाने जा रहा है, जिससे आखिरी समय में किसी राहत की उम्मीद भी खत्म हो गई है। सोमवार को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, केवल कुछ चुनिंदा सेक्टर जैसे फार्मास्यूटिकल्स, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट मिली है। बाकी सेक्टर्स जैसे टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, झींगा और हैंडीक्राफ्ट्स के लिए यह ड्यूटी बढ़ोतरी ऐसे समय आई है, जब ऑर्डर पहले से ही घट रहे हैं और मार्जिन पर दबाव बना हुआ है।
ट्रंप का यह फैसला न सिर्फ भारत को अमेरिका के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करने पर मजबूर कर रहा है (जहां न तो भारत ने छूट मांगी और न ही वॉशिंगटन के दोबार विचार का इंतजार किया), बल्कि इसने मोदी सरकार को आंतरिक मजबूती पर फोकस करने के लिए भी प्रेरित किया है, ताकि टैरिफ के इस झटके को झेला जा सके। अब भारत ट्रंप के ‘टैरिफ बम’ का सामना करने के लिए तीन-स्तरीय रणनीति (three-pronged approach) पर काम कर रहा है।
रणनीतिक बचाव: वॉशिंगटन के अलावा नए विकल्प
ट्रंप के 50% टैरिफ ने भारत को एक बड़ा सबक दिया है। और अब समय है कि भारत अमेरिका पर निर्यात की अत्यधिक निर्भरता को कम करे। ब्राजीलियन राजनीतिक वैज्ञानिक मैटियास स्पेक्टर के अनुसार, भारत ट्रंप की ‘राजनीतिक दबाव की नीति’ का जवाब एक रणनीतिक बचाव बनाकर दे रहा है।
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स्पेक्टर के शब्दों में, “रणनीतिक बचाव का लक्ष्य आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि विकल्प बनाकर स्वतंत्र फैसले लेने की क्षमता बनाए रखना है। जब विकल्प मौजूद हों, तो कोई भी साझेदार अपनी शर्तें नहीं थोप सकता।”
भारत की रणनीति अब बिल्कुल साफ दिख रही है। इनमें दुनियाभर में विविध ट्रेड पार्टनर बनाना और अमेरिका पर निर्भरता कम करना, चुनिंदा सेक्टरों में चीन के साथ व्यापारिक चैनल दोबारा खोलना, रूस के साथ नए व्यापार समझौतों पर विचार करना शामिल है। गौर करने वाली बात है कि अफ्रीका, वेस्ट एशिया और साउथईस्ट एशिया जैसे उभरते बाजारों तक पहुंचने के लिए भारतीय कंपनियां तेजी से सर्टिफिकेशन करवा रही हैं।
GST सुधार के साथ घरेलू खपत को बढ़ाना
भारत की अर्थव्यवस्था उन देशों से अलग है जो केवल निर्यात पर निर्भर हैं। यहां GDP का 61.4% हिस्सा निजी खपत से आता है, जबकि अमेरिका को होने वाला $87.4 बिलियन का निर्यात भारत की कुल अर्थव्यवस्था का सिर्फ 2% है।
यानी, अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाकर दबाव बनाता भी है तो भारत की सबसे बड़ी ताकत घरेलू उपभोग है जो उसकी अर्थव्यवस्था को सहारा देती है।
इसी दिशा में मोदी सरकार ने GST सुधार को बड़ा हथियार बनाया है। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पीएम मोदी ने संकेत दिया कि लंबे समय से लंबित प्रस्ताव- जीएसटी टैक्स स्लैब घटाकर दो स्तर (12% और 28%) करना। इस प्रस्ताव को GoM की मंजूरी भी मिल चुकी है। 5% और 18% वाले स्लैब को भी नए ढांचे में समायोजित किया जाएगा। यह सुधार उद्योग जगत की वर्षों पुरानी मांग थी। अब इसे आगे बढ़ाकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि ‘अमेरिका कुछ भी करे, भारत सुधार करता रहेगा और निवेशकों के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बना रहेगा।’
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले पर सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से सलाह भी नहीं ली गई, जिससे साफ है कि केंद्र सरकार इस सुधार को तुरंत लागू करने की तत्कालता और गंभीरता दिखाना चाहती है।
आत्मनिर्भरता और व्यापार और Ease of Doing Business
अमेरिका का 50% टैरिफ भारत के लिए मौजूदा समय के लिए एक चुनौती जरूर है, लेकिन इसने मोदी सरकार को लंबी अवधि की रणनीति को और धारदार बनाने का मौका भी दिया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय, वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। जिनमें कम ब्याज पर कर्ज, और नए बाजारों तक पहुंच के लिए सहायता शामिल है।
इसी दिशा में पीएम मोदी ने दो हाई-लेवल पैनल बनाए हैं:
-पहला पैनल, कैबिनेट सेक्रेटरी टी.वी. सोमनाथन की अगुवाई में, राज्य-स्तरीय नियमों को आसान करने पर काम करेगा।
-दूसरा पैनल, नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में, नेक्स्ट-जनरेशन सुधारों की सिफारिशें तैयार करेगा।
हाल ही में पीएम मोदी ने अपनी आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council) से भी मुलाकात की। चर्चा में यह राय सामने आई कि मार्च 2026 तक भारत की 6.5% GDP ग्रोथ संभव है, बशर्ते महंगाई नियंत्रण में रहे और ब्याज दरों में कटौती का फायदा उद्योगों व उपभोक्ताओं को मिले।
यानी, आत्मनिर्भरता, टैक्स सुधार और वैश्विक साझेदारी के नए समीकरणों के सहारे भारत न केवल इस दबाव को झेलने बल्कि इसे नीतिगत मोड़ (Policy Pivot) में बदलने की कोशिश कर रहा है।