सरकार की ओर से भूजल के दोहन को लेकर बड़ी कंपनियों 2069 प्रोजेक्ट्स को राहत दी गई है। यह राहत सरकरी एजेंसी के उस फैसले के बाद आई, जब एजेंसी की ओर से इन बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट को जमीन से पानी निकालने के नियमों को उल्लंघन को लेकर गैर- कानूनी घोषित कर दिया गया था।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) ने 14 जुलाई को इन कंपनियों की एनओसी (No Objection Certificates)  को रिन्यू करने की आखिरी तारीख को 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया गया है। भूजल का उपयोग करने से पहले सभी बड़ी कंपनियों को सरकार से एक एनओसी लेनी होती है, जिसे हर 2 से 5 साल के बीच रिन्यू किया जाता है। बता दें, सीजीडब्ल्यूए ने 27 जून को भूजल दोहन के लिए एनओसी न रिन्यू कराने वाली बड़ी कंपनियों के 2,069 प्रोजेक्ट्स की लिस्ट निकली थी, जिसमें टाटा संस, बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी और अडानी का नाम शामिल था।

क्यों भूजल का दोहन गैर- कानूनी?

भारत में भूजल दोहन करने के दिशानिर्देशों के मुताबिक, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के अंतर्गत आने वाले केवल व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता, सशस्त्र बल, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, कृषि से जुड़े हुए लोग और माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज ही बिना एनओसी के एक दिन में 10 क्यूबिक मीटर से कम का भूजल उपयोग कर सकते हैं।

सरकार की ओर से निकली गई 2069 प्रोजेक्ट्स की लिस्ट में अडानी विल्मर क्यूबिक 2,673 क्यूबिक मीटर भूजल का उपयोग कर रहा था, कंपनी की एनओसी अप्रैल 2021 में एक्सपायर हो गई थी। बाबा रामदेव की कंपनी दिव्य फार्मेसी यूनिट -2 जो कि हरिद्वार में है, प्रतिदिन 170 क्यूबिक मीटर भूजल का उपयोग कर रहा थी और एनओसी दिसंबर 2017 में ही एक्सपायर हो गई थी।

इसके साथ टाटा संस की कंपनी टाटा स्टील पश्चिम बोकारो में कोयला निकालने के लिए प्रतिदिन 20,094 क्यूबिक मीटर भूजल का उपयोग कर रही थी।

भारत में भूजल का गिरता स्तर

भारत का भूजल स्तर वर्षों से लगातार गिर रहा है। नवंबर 2020 में सीजीडब्ल्यूए द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया कि उनकी निगरानी में रहे 2010-19 के बीच 33 फीसदी कुओं में जल स्तर पिछले एक दशक की तुलना में 0-2 मीटर गिर गया है। वहीं, पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली, चेन्नई, इंदौर, कोयंबटूर, मदुरै, विजयवाड़ा, देहरादून, जयपुर, इलाहाबाद, गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ के कुछ हिस्सों में यह गिरावट चार मीटर से अधिक थी।