Lockdown impact on indian economy: कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया है। इस दौरान देश भर में कारोबारी गतिविधियां, फैक्ट्रियां बंद रहेंगी और लोग अपने घरों में ही रहेंगे। भले ही कोरोना से बचाव के लिए यह अहम फैसला है, लेकिन आर्थिक लिहाज से देखें तो देश को 120 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। विश्लेषकों के मुताबिक इस बंदी से होने वाले नुकसान देश की जीडीपी के 4 फीसदी हिस्से के बराबर होगा।

माना जा रहा है कि 3 अप्रैल को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीतियां जारी करने वाले रिजर्व बैंक की ओर से मार्केट में तेजी को लेकर कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज में अप्रत्याशित कटौती की जा सकती है। इसके अलावा इस बंदी से सरकार को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में भी मुश्किल होगी।

ब्रिटिश ब्रोकरेज बार्कलेज ने कहा कि भारत में 21 दिनों के शटडाउन के चलते देश को 9 लाख करोड़ रुपये का लॉस होगा, जो उसकी जीडीपी के 4 फीसदी के बराबर है। इसके साथ ही एजेंसी ने भारत की ग्रोथ रेट में 1.7 फीसदी की कटौती करते हुए इसे 3.5 पर्सेंट कर दिया है। अकेले 21 दिनों के लॉकडाउन से ही देश को 90 अरब अमेरिकी डॉलर की चपत लगेगी। इसके अलावा महाराष्ट्र जैसे अहम कारोबारी सूबे समेत कई राज्यों में बंदी से भी बड़े नुकसान की आशंका है।

विश्लेषकों के मुताबिक हालात को संभालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में 0.65 फीसदी की कटौती की जा सकती है। इस साल ब्याज दर में केंद्रीय बैंक की ओर से कुल मिलाकर 1 फीसदी तक की कटौती की जा सकती है। घरेलू ब्रोकरेज कंपनी Emkay ने लॉकडाउन को लेकर सरकार की सराहना करते हुए कहा कि उसने अन्य देशों के मुकाबले काफी पहले और तेजी से एक्शन लिया है। हालांकि इन सबके बावजूद इकॉनमी पर पड़ने वाले असर के थमने की संभावना कम ही है।


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