एक समय दिग्गज कारोबारी रहे अनिल अंबानी ने कर्ज के संकट के चलते अब अपनी कंपनी रिलायंस कैपिटेल लिमिटे़ड की संपत्तियों को बेचने का फैसला लिया है। हाल ही में कंपनी डिबेंचर होल्डर्स और अन्य कर्जदाताओं का लोन चुकाने में डिफॉल्टर साबित हुई थी। इसके बाद यह फैसला लिया गया है। कंपनी जिन एसेट्स को बेचने जा रही है, उनमें रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस हेल्थ और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की पूरी हिस्सेदारी शामिल है। इसके अलावा Reliance Nippon Life Insurance में भी कंपनी की 49 पर्सेंट हिस्सेदारी है। इसे भी अनिल अंबानी बेचने जा रहे हैं। यह कंपनी देश की 5 टॉप प्राइवेट बीमा कंपनियों में से एक है।

रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस कैपिटल लिमिटेड पर ईपीएफओ और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बड़ी रकम बकाया है। अकेले ईपीएफओ का ही रिलायंस कैपिटल पर करीब 2,500 करोड़ रुपये बकाया है। कर्जदाताओं ने एसबीआई कैप्स और जेएम फाइनेंशियल को अनिल अंबानी की कंपनी के बीमा कारोबार को बेचने की जिम्मेदारी दी है। रिलायंस कैपिटल पर कुल 19,806 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। इसमें से 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज सिर्फ डिबेंचर होल्डर्स का ही है। डेब्ट रिजॉलूशन प्रॉसेस को पूरा करने के लिए डिबेंटर होल्डर्स की एक कमिटी का भी गठन किया गया है। इस कमिटी में ईपीएफओ और एलआईसी भी शामिल हैं।

बता दें कि अनिल अंबानी बुरी तरह से कर्ज के संकट में फंसे हैं। हाल ही में एसबीआई की ओर से दायर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को तात्कालिक राहत देते हुए उनके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया के तहत केस चलाने पर रोक का आदेश दिया था। यह आदेश अंतिम फैसले के आने तक लागू रहेगा। दरअसल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई शाखा ने उनके खिलाफ दिवालिया केस चलाने की मंजूरी दी थी। इसके खिलाफ अनिल अंबानी ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी, जहां इस पर रोक लग गई थी। इसके बाद एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी इस रोक को बनाए रखने का ही आदेश दिया।

पर्सनल गारंटी के चलते फंसे अनिल अंबानी: आरकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल की ओर से एसबीआई से लिए 1,200 करोड़ रुपये के लोन पर अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी ली थी। दोनों ही कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं, ऐसे में ट्रिब्यूनल ने अनिल अंबानी पर ही दिवालिया केस चलाए जाने का आदेश दिया था। अनिल अंबानी ने अपनी पर्सनल गारंटी पर 2016 में ये कर्ज लिए थे और अब दोनों ही कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं।