महंगाई से आम जनता का बुरा हाल है और हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग किराने तक का समान नहीं खरीद पा रहे हैं। मार्च में समाप्त हुई तिमाही के दौरान दैनिक किराने का सामान और आवश्यक वस्तुओं की खपत में मामूली गिरावट आई है। लगातार कीमतों में बढ़ोतरी ने लोगों को घरेलू खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके पहले ओमिक्रोन लहर ने जनवरी में घरेलू खपत को प्रभावित किया था।
ग्लोबल कंज्यूमर रिसर्च फर्म कांतार वर्ल्डपैनल (पूर्व में आईएमआरबी) के अनुसार इस तिमाही में खरीदे गए सामान या वॉल्यूम में 0.8 फीसदी की गिरावट आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 1.7% की मांग बढ़ी लेकिन शहरों में मंदी छाई रही, क्योंकि शहरों में मांग में 3.4% की गिरावट आई। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बाजार में घटती मात्रा की यह लगातार तीसरी तिमाही है, जिसका कारण कंपनियां पैक के आकार में कमी को बता रही हैं। उपभोक्ता कम कीमत वाले उत्पादों का विकल्प चुनते हैं और घरेलू बजट के अनुसार अपने खर्च को कम करते हैं।
हिंदुस्तान यूनिलीवर के प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने शुक्रवार को इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, “अधिकांश भारतीयों के लिए आय सीमित है और न केवल पैकेज्ड एफएमसीजी में, बल्कि ईंधन, खाद्य तेल और अनाज सहित कई चीजों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। इस कारण पैकेज्ड एफएमसीजी पर खर्च करने के लिए घरों में फंड अक्सर कम हो रहा है और उपभोक्ता खपत की मात्रा को कम करके या कई मामलों में कम मूल्य वाले पैक का विकल्प चुनकर वॉल्यूम का अनुमापन करते हैं।”
मार्च में जीएसटी कलेक्शन 1.42 लाख करोड़ का था जबकि थोक महंगाई दर 14.55 फीसदी थी और खुदरा महंगाई दर अपने 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 6.95% पर थी। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एलपीजी के दाम लगातार बढ़े हैं और इससे सबका बजट बिगड़ा है।
वहीं कमरतोड़ महंगाई के बाद भी मंगलवार को अक्षय तृतीया के मौके पर देशभर में 13 हजार करोड़ से अधिक का सोना बिका है जबकि करीब 2 हजार करोड़ रुपये की चांदी की बिक्री हुई है। इससे पहले 2019 में 10 हजार करोड़ से अधिक का सोना बिका था।