अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ग्रुप अब सैन्य हेलिकॉप्टर, मिसाइल और पनडुब्बियां बनाना चाहता है। इसके लिए वे पूरी तैयारी के साथ जुटे हुए हैं। अनिल अंबानी सेना के सभी प्रकार के हार्डवेयर बनाने के ठेके जीतना चाहते हैं। भारत सरकार के 840 अरब रुपये के सैन्य उत्पाद बनाने के ठेकों पर उनकी नजर है। हालांकि अभी तक उन्हें एक भी टेंडर नहीं मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के जरिए भारत को मैन्युफेक्चरिंग का गढ़ बनाना चाहते हैं। रक्षा उत्पाद बनाने वाली कंपनियां इसमें बड़ा योगदान दे सकती है। इसी के चलते पीएम मोदी रक्षा कॉन्ट्रेक्ट के जरिए विदेशी कंपनियों के सामने भारत में निर्माण की शर्त रख रहे हैं।
भारत अगले 10 साल में 250 बिलियन डॉलर के डिफेंस कॉन्ट्रेक्ट जारी करने की स्थिति में है। उसे अपने सैन्य उत्पाद को अपग्रेड करना है। इसी के चलते अनिल अंबानी उत्साहित हैं। वर्तमान में स्वीडिश कंपनी साब के साथ मिलकर रिलायंस अगली पीढ़ी का कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने पर काम कर रही है। यह सिस्टम भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के लिए बनाया जाएगा। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने आधा दर्जन विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में काम करने का एग्रीमेंट किया है। इसमें इजरायल की राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स भी शामिल है।
हालांकि रिलायंस के रक्षा क्षेत्र में काम करने को लेकर कुछ संशय भी हैं। रक्षा सौदों में शामिल भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि रिलायंस जहाज से लेकर प्लेन तक बनाने की कोशिश कर रही है। यह जल्दबाजी है। साथ ही उसके पास ऐसा अनुभव भी नहीं है। हाल ही में रूस की कंपनी ने 200 केमोव हैलीकॉप्टर बनाने का कॉन्ट्रेक्ट रिलांयस को छोड़कर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ किया। रिलायंस के साथ काम कर रही साब के इंडिया हैड जेन वाइडरस्ट्रोम ने बताया, ”इस क्षेत्र में आसानी से पैसा नहीं है। इसमें काफी अनुभव, हाईटेक कल्चर, निवेश और लंबे समय के बिजनेस प्लान की जरूरत होती है।”
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2005 में रिलायंस के बंटवारे के बाद अनिल अंबानी के हिस्से टेलीकॉम, पावर, एंटरटेनमेंट और फाइनेंशियल बिजनेस आया था। हालांकि उन्हें बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ा और उनका कर्ज बढ़ गया। पिछले साल उन्होंने पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियर कंपनी को 20 अरब रुपये में खरीदा। अब इसका नाम रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियर लिमिटेड हो गया है। रक्षा उत्पाद बनाने के लिए रिलायंस ने कई जगहों पर जमीनें खरीदी हैं। कंपनी का मानना है कि सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए अगले तीन साल में वह 20 अरब रुपये खर्च करेगी। कंपनी के अनुसार पिपावाव शिपयार्ड के चलते उसका नेवी के लिए सामान बनाने का बिजनेस पहले शुरू होगा। वह 7.5 बिलियन डॉलर के पनडुब्बी कॉन्ट्रेक्ट पर नजरें जमाए हुए हैं। अंबानी भविष्य में परमाणु संपन्न पनडुब्बियां भी बनाना चाहते हैं।
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