आयकर रिफंड हर वर्ष लाखों टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स सीजन का सबसे स्ट्रेसफुल हिस्सा बन जाता है। सैलरीड कर्मचारियों से लेकर फ्रीलांसर तक सभी लोग अक्सर टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद अपने इनकम टैक्स रिफंड का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, इंतजार का समय दूसरी बातों ( जैसे रिटर्न फाइल करने का समय, रिटर्न कितना मुश्किल है) पर भी निर्भर करता है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने रिटर्न फाइलिंग और रिफंड प्रोसेस को काफी आसान बना दिया है, फिर भी ऐसे मामले सामने आए हैं जब टैक्सपेयर्स को अपने बैंक अकाउंट में रिफंड पहुंचने से पहले महीनों तक इंतजार करना पड़ा।
अपने रिफंड का इंतजार कर रहे अधिकतर टैक्सपेयर्स की सबसे आम दिक्कत यह है कि उन्हें पता नहीं होता कि बीच में क्या हो रहा है, क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर रियल-टाइम रिफंड ट्रैकिंग सिस्टम नहीं है।
Income Tax Refund Delay: इनकम टैक्स रिफंड नहीं आया? जानें देरी की वजह और कैसे ट्रैक करें ITR स्टेटस
आईटीआर 2025 के लिए सबमिशन से प्रोसेसिंग तक का लेटेस्ट डेटा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर लेटेस्ट डेटा अपडेट के अनुसार, 26 नवंबर 2025 तक 8.21 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं। इसमें से करीब 8.1 करोड़ रिटर्न वेरिफाइड हैं। लेकिन जब इन ITR की प्रोसेसिंग की बात आती है, तो करीब 6.98 करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं यानी 1.11 करोड़ से ज़्यादा रिटर्न अभी प्रोसेस होने बाकी हैं।
इसीलिए डेलॉइट इंडिया ने अपने बजट 2026 विशलिस्ट में एक खास सुझाव दिया है कि भारत को इनकम टैक्स पोर्टल पर एक रियल-टाइम रिफंड ट्रैकिंग डैशबोर्ड की जरूरत है।
टैक्सपेयर्स को क्यों है रियल-टाइम ट्रैकिंग की जरूरत?
हाल के वर्षों में हुए सुधारों के बावजूद, रिफंड में देरी अभी भी हर टैक्स सीजन में हेडलाइन बनती है। असल में, इस वर्ष भी कई टैक्सपेयर्स को सामान्य से कहीं ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है।
हाल ही में, CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने सबके सामने माना कि टैक्सपेयर्स के एक हिस्से के रिफंड में देरी हुई है, क्योंकि डिपार्टमेंट पैसे जारी करने से पहले कुछ ज्यादा कीमत वाले या फ़्लैग किए गए क्लेम को एनालाइज कर रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सही रिफंड जारी किए जाएंगे, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि वेरिफिकेशन प्रोसेस में ज्यादा समय लग रहा है।
आम टैक्सपेयर के लिए, समस्या सिर्फ देरी नहीं है – यह क्लैरिटी की कमी है। उन्हें बस यह नहीं पता कि रिफंड में देरी क्यों हो रही है? क्या और वेरिफ़िकेशन हो रहा है? इससे लोगों को बार-बार पोर्टल रिफ्रेश करना पड़ता है, शिकायतें करनी पड़ती हैं या हेल्पलाइन पर कॉल करना पड़ता है।
डेलॉइट का बजट 2026 के लिए क्या है सुझाव?
टैक्सपेयर्स को कूरियर ट्रैकिंग सिस्टम की तरह एक लाइव, ट्रांसपेरेंट, स्टेप-बाय-स्टेप ट्रैकर दें-
-एक्सपेक्टेड टाइमलाइन के साथ क्लियर स्टेटस इंडिकेटर
-‘अंडर प्रोसेसिंग’, ‘अप्रूव्ड’, ‘बैंक को भेजा गया’, ‘क्रेडिटेड’ जैसे स्टेटस
-सिर्फ इससे ही 70% अनसर्टेनिटी दूर हो जाएगी।
-एक एस्केलेट बताएं बटन
-अगर कोई रिफंड एक्सपेक्टेड टाइमलाइन से ज्यादा अटका हुआ है, तो टैक्सपेयर्स इसे सीधे एस्केलेट कर पाएंगे।
-ग्रीविएशन रिड्रेसल और नोटिफिकेशन के साथ इंटीग्रेशन
-टैक्सपेयर्स को पोर्टल को मैनुअली चेक करने के बजाय SMS या ईमेल से समय पर अलर्ट।
ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के साथ अलाइनमेंट
US और UK जैसे देश पहले से ही डिटेल्ड रिफंड ट्रैकिंग ऑफर करते हैं। इंडिया आसानी से ऐसा ही सिस्टम अपना सकता है।
यह फीचर क्यों हो सकता है गेम-चेंजर?
चिंता और कन्फ्यूजन कम होगा।
टैक्सपेयर्स और टैक्स डिपार्टमेंट दोनों का समय बचेगा।
गलत जानकारी और घबराहट कम होगी।
अभी क्यों है ये बदलाव जरूरी?
इस साल रिफंड में देरी, टैक्सपेयर की बढ़ती शिकायतों और AIS/TIS डेटा में गड़बड़ियों ने ट्रांसपेरेंसी को लोगों की सबसे बड़ी मांग बना दिया है। रियल-टाइम रिफंड डैशबोर्ड सिर्फ एक सुविधा नहीं है यह एक जरूरत है। इससे स्पष्टता आएगी, विवाद कम होंगे, घबराहट रुकेगी। जैसे-जैसे बजट 2026 पास आ रहा है, टैक्सपेयर्स उम्मीद कर रहे हैं कि यह लंबे समय से महसूस की जा रही जरूरत आखिरकार सच हो जाएगी।
