देश में लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाए जाने के ऐलान के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फाइनेंशियल ईयर 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था के 1.9 फीसदी की ग्रोथ करने का अनुमान जताया है। यदि ऐसा होता है तो 1991 के बाद यह पहला मौका होगा, जब भारत की आर्थिक ग्रोथ इतने निचले लेवल पर पहुंच जाएगी। हालांकि आईएमएफ के अनुमान में ही भारत के लिए एक बड़ी उम्मीद जताते हुए कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह बड़ी छलांग होगी। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि हेल्थ इमरजेंसी के चलते बड़ा संकट पैदा हो सकता है और तमाम देशों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।
वैश्विक ग्रोथ के अनुमाम को देखें तो वैश्विक संस्था की भारतीय इकॉनमी को लेकर की गई भविष्यवाणी बहुत ज्यादा चिंतित करने वाली नहीं है। गीता गोपीनाथ ने कहा कि 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था का 7.4 पर्सेंट की ग्रोथ हासिल करना आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था के भी 5.8 फीसदी की दर से आगे बढ़ने की बात कही गई है। दरअसल अपने इस अनुमान को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि कोरोना से निपटने में 2020 का पूरा साल चला जाएगा, लेकिन उसके बाद तेजी से सुधार देखने को मिलेगा। आईएमएफ का कहना है कि 2020-21 की दूसरी छमाही में भारत की ग्रोथ 4.2 पर्सेंट के करीब रह सकती है।
आईएमएफ की ओर से भारत की आर्थिक ग्रोथ के 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान वर्ल़्ड बैंक की ओर से की गई भविष्यवाणी से 0.4 पर्सेंट अधिक है। इससे पहले विश्व बैंक ने अनुमान जताया था कि भारत की आर्थिक प्रगति की दर 1.5 फीसदी से लेकर 2.8 पर्सेंट तक रह सकती है। हालांकि यह अनुमान तीन सप्ताह के लॉकडाउन को लेकर ही था और सरकार ने अब इसे 3 मई तक बढ़ाने का फैसला ले लिया है। बता दें कि 1991-21 के बाद भारत की आर्थिक ग्रोथ में इतनी बड़ी गिरावट पहली बार देखने को मिलेगी। तब भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 1.1 पर्सेंट पर ठिठक गई थी। इसी के चलते तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू करने का फैसला लिया था।
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