केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों की रिहायश की चिंताओं को दूर करने के लिए पीएम आवास योजना के अंतर्गत रेंटल हाउसिंग स्कीम लॉन्च की है। गुरुवार को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की दूसरी किस्त का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने इसकी जानकारी दी है। इससे मजदूरों के अलावा शहरी गरीबों को भी राहत मिल सकेगी, जो मामूली किराया देकर सरकारी की ओर से तैयार किए गए घरों में रह सकेंगे। आइए जानते हैं, कैसे केंद्र सरकार लागू करेगी यह स्कीम…

पीपीपी मॉडल पर बनेंगे घर: शहरी गरीब परिवारों और मजदूरों को सस्ते किराये घर देने के लिए सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर काम करते हुए आवास तैयार कराएगी। इन आवासों को मजदूरों को एक निश्चित दर पर किराये पर रहने के लिए दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे स्लम की समस्या भी खत्म होगी और मजदूरों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। इस संबंध में सरकार की ओर से जल्दी ही नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।

राज्यों को प्रोत्साहित करेगी सरकार: केंद्र सरकार गरीबों को किराये पर घर देने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के अलावा राज्य सरकारों को भी प्रोत्साहित करेगी वे मकानों का निर्माण करें। इस परियोजना के लिए राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से भी फंडिंग की जाएगी। यह एक तरह से देश के सबसे निचले तबके के लोगों के लिए रिहायश की गैर-मालिकाना हक वाली व्यवस्था होगी।

प्राइवेट कंपनियां भी बना सकती हैं घर: सरकारी एजेंसियों के अलावा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, इंडस्ट्रीज और संस्थानों की ओर से अपने स्तर पर भी मकानों का निर्माण मजदूरों के लिए किया जा सकता है। यह मकान कंपनियां अपनी निजी भूमि पर तैयार कर सकती हैं, इसके लिए सरकार की ओर से कुछ छूट दी जाएंगी।

पीएम आवास योजना की मियाद: बढ़ी मजदूरों के साथ ही सरकार मिडिल क्लास के लोगों को भी बड़ी राहत देते हुए पीएम आवास योजना के तहत लोन में छूट की सुविधा को अब 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इसके लिए 70,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 6 लाख रुपये से लेकर 18 लाख रुपये सालाना तक की कमाई वाले लोग इस स्कीम का लाभ ले सकते हैं।

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