Hindenburg Research New Claim SEBI Chairperson: अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर भारत में नया बखेड़ा कर दिया है। शनिवार को रिसर्च फर्म ने X पर एक पोस्ट कर भारत में कुछ नया खुलासा करने की जानकारी दी थी और अब नया भंडाफोड़ कर दिया है। पिछली बार यानी जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप (Adani Group) पर लगाए गए गड़बड़ी के आरोपों के बाद इस बार हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति को लपेट लिया है। नए व्हिसिलब्लोअर डॉक्युमेंट्स में कथित तौर पर दावा किया गया है कि अडानी साइफोनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति की हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप
Hindenburg की नई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमने पहले यह देखा था कि अडानी किस तरह गंभीर नियामक हस्तक्षेप के बिना ही पूर्ण विश्वास के साथ अपना काम जारी रखे हुए है। अडानी और सेबी चेयरपर्सन, माधबी बुच के साथ संबंधों के जरिए इस बात को समझा जा सकता है।’
अमेरिकी फर्म ने आरोप लगाया कि SEBI ने अभी तक, India Infoline: EM Resurgent Fund and Emerging India Focus Funds द्वारा ऑपरेट किए जाने वाले दूसरे सस्पेक्ट अडानी शेयरहोल्डर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
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रिपोर्ट में आगे बताया गया, ‘हमें यह पता नहीं चला, कि मौजूदा SEBI चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच की उन्हीं अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी जिन्हें विनोद अडानी ने इस्तेमाल किया था।’ हिंडनबर्ग के नए दावों की मानें तो ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना अडानी ग्रुप के ही एक डायरेक्टर ने इंडिया इन्फोलाइन के जरिए की और यह टैक्स हैवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसी फंड का इस्तेमाल सेबी चेयरपर्सन और उनके पति द्वारा किया जा रहा है जो गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी कर रहे थे।
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों से खुलासा हुआ है, ‘माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार सिंगापुर में 5 जून, 2015 को पहली बार IPE Plus Fund 1 खुलवाया। IIFL में फंड की जानकारी वाले एक दस्तावेज में उनके निवेश का सोर्स ‘सैलरी’ को बताया गया और पति-पत्नी की नेटवर्थ करीब 10 मिलियन डॉलर थी।’
Hindenburg की नई रिपोर्ट में नया बखेड़ा!
रिसर्च फर्म ने कहा है कि व्हिसिलब्लोअर से मिले दस्तावेजों के मुताबिक, ’22 मार्च 2017 यानी माधवी बुच की इस राजनीतिक नियुक्ति से पहले माधबी के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड एडमिनिस्ट्रेटर Trident Trust को एक पत्र लिखा था। इस ईमेल में उन्होंने अपने और अपनी पत्नी के Global Dynamic Opportunities Fund (GDOF) में निवेश के बारे में जानकारी दी थी। इस पत्र में धवल बुच ने ‘अकाउंट्स को ऑपरेट करने के लिए एकमात्र अधिकृत व्यक्ति’ होने का आवेदन किया था। ऐसा लग रहा था कि इस राजनीतिक नियुक्ति से पहले अपनी पत्नी के नाम से सभी एसेट्स हटाना चाहते थे।’
इसके बाद 25 फरवरी 2018 यानी जब माधबी बुच सेबी की फुल-टाइम मेंबर थीं, उस समय के दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्होंने निजी तौर पर India Infoline को फंड में यूनिट्स को रिडीम करने के लिए उनका पर्सनल जीमेल अकाउंट यूज करने, उनके पति के नाम पर बिजनेस करने के लिए कहा।
हिंडनबर्ग द्वारा जारी दस्तावेजों के मुताबिक, 26 फरवरी 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल पर एक लेटर भेजा गया जिसमें स्ट्रक्चर की डिटेल्स का खुलासा किया गया- ‘GDOF Cell 90 (IPEplus Fund 1)’
इसके मुताबिक, बुच के पास उस समय कुल 872,762.25 डॉलर की हिस्सेदारी थी।
इसके बाद 25 फरवरी 2018 यानी जब माधबी बुच सेबी की फुल-टाइम मेंबर थीं, उस समय के दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्होंने निजी तौर पर India Infoline को फंड में यूनिट्स को रिडीम करने के लिए उनका पर्सनल जीमेल अकाउंट यूज करने, उनके पति के नाम पर बिजनेस करने के लिए कहा।
Agora Partners में 100 फीसदी स्टेक
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2017 से मार्च 2022 यानी माधबी बुच SEBI की फुल-टाइम मेंबर और चेयरपर्सन रहने के दौरान वह एक ऑफशोर सिंगापुर की कंसल्टिंग फर्म Agora Partners में 100 फीसदी की हिस्सेदार थीं। 16 मार्च 2022 को यानी सेबी चेयरपर्सन बनने के दो हफ्तों बाद उन्होंने चुपचाप सारे शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।
बता दें कि अगोरा पार्टनर्स pte LTD को 27 मार्च 2013 को सिंगापुर में रजिस्टर्ड किया गया था। यह कंपनी खुद को ‘बिजनेस और मैनेजमेंट कंसल्टेंसी’फर्म बताती है। कंपनी के 2014 ऐनुअल रिटर्न के मुताबिक, माधबी बुच ने उस समय खुद को 100 प्रतिशत शेयरहोल्डर दिखाया था।
मौजूदा वक्त की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी डायरेक्टर माधबी बुच फिलहाल एक इंडियन कंसल्टिंग बिजनेस कंपनी Agora Advisory में 99 प्रतिशत की हिस्सेदार हैं जबकि उनके पति कंपनी में डायरेक्टर हैं। साल 2022 में इस कंपनी ने कंसल्टिंग से 2,61,000 करोड़ डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट किया था जो माधबी की SEBI से बताई गई सैलरी से 4.4 गुना ज्यादा है।
हिंडनबर्ग ने यह भी खुलासा किया है कि जब माधबी बुच SEBI में फुल-टाइम मेंबर के तौर पर काम कर रही थीं, उन्के पति को 2019 में Blackstone नाम की एक कंपनी में सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया गया। जबकि उनके पति की लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, इससे पहले उन्होंने किसी फंड, रियल एस्टेट या कैपिटल मार्केट के लिए काम नहीं किया था।
जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप पर ‘कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले’ का आरोप
यूएस की इस शॉर्ट सेलर कंपनी ने जनवरी 2023 में गौतम अडानी की मल्टीनेशनल कंपनी अडानी ग्रुप पर शेयरों की गडबड़ी, ऑडिटिंग फ्रॉड और हेरफेर से जुड़े कई बड़े और गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद अडानी ग्रुप के शेयर बुरी तरह टूटे और कंपनी की वैल्यूएशन पर भी बड़ा असर पड़ा। इसके अलावा गौतम अडानी की नेट वर्थ में भी भारी कमी आई और अरबपतियों की लिस्ट में वो काफी नीचे पहुंच गए। करीब एक साल तक चली सेबी की जांच और केस के बाद इसी साल यानी जनवरी 2024 में अडानी ग्रुप को राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोप साबित ना होने की बात कहते हुए क्लीन चिट दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-कुछ कहा था
सेबी द्वारा अडानी ग्रुप की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने कहा गया कि सेबी की रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया जिससे इस मामले किसी प्रकार का संदेह हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है कि सेबी की रिपोर्ट पर अविश्वास किया जाएगा। SC ने कहा था कि सेबी ही इस मामले की सही जांच कर सकती है और उसके अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश कर दी है।
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बाजार नियामक SEBI की गतिविधियां संदिग्ध हैं, क्योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है। हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया था।