चंडीगढ़ में बीते सप्ताह हुई जीएसटी परिषद के फैसलों को लेकर विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें परिषद के कुछ फैसलों को लेकर कहा गया है कि ये सही नहीं हैं।
फिक्की ने अपने पत्र में लिखा कि हेल्थ केयर सर्विसेज पर जीरो जीएसटी होना चाहिए, जिससे सर्विस प्रोवाइडर इनपुट टैक्स क्रेडिट ITC का लाभ ले सकें। संस्था का कहना है कि इससे ITC की चेन बरकरार रहेगी बल्कि सेवाओं को प्रदान करने में भी उन्हें सहूलियत मिलेगी। फिक्की का कहना है कि अस्पतालों ने हेल्थ केयर पर जीरो जीएसटी को लेकर पहले भी सरकार से मांग उठाई थी। उनकी डिमांड गलत नहीं है।
संस्था का कहना है कि परिषद के इस फैसले से ईलाज महंगा हो जाएगा, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना होगा। 5 फीसदी की दर से अस्पताल के कमरों पर जीएसटी लगाने के फैसले से भ्रांतियां भी फैलेंगी, क्योंकि कमरे का किराया ईलाज के पैकेज का हिस्सा होता है। संस्था का कहना है कि एक तरफ सरकार ईलाज को सर्वसुलभ बनाने की बात करती है तो दूसरी तरफ इस तरह का फैसला उसके एजेंडे को पटरी से उतारेगा।
जीएसटी परिषद की दो दिवसीय 47वीं बैठक बीते बुधवार को चंडीगढ़ में आयोजित थी। कहने के तो बैठक में कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया गया। लेकिन कुछ सामानों के मौजूदा जीएसटी दरों में बदलाव को जीएसटी परिषद ने मंजूरी दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में ये बैठक हुई थी। बैठक में कई फैसले लिए गए पर इनमें अस्पतालों के कमरों पर जीएसटी लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
फैसले के मुताबिक अस्पताल में 5 हजार रुपये से अधिक के कमरे (आईसीयू को छोड़कर) लेने पर 5 फीसदी की जीएसटी देना होगा। हालांकि सरकार ने मेडिकल क्षेत्र को राहत देते हुए आर्थोपेडिक उपकरण पर जीएसटी 5 फीसदी कर दिया है। ये् पहले 12 फीसदी था। लेकिन अस्पताल के कमरों पर जीएसटी लगाना फिक्की को भी रास नहीं आया है। संस्था ने इस बात को लेकर वित्त मंत्री से अपना विरोध जाहिर किया है।