GST 2.0 Day 1: सरकार द्वारा जीएसटी दरों को घटाने के एक दिन बाद, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों द्वारा किए गए खर्चे में अचानक बढ़ोतरी देखी गई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, केवल क्रेडिट कार्ड के जरिए ई-कॉमर्स लेनदेन 22 सितंबर को एक ही दिन में लगभग छह गुना बढ़कर 10,411 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वहीं बात करें ठीक एक दिन पहले यानी 21 सितंबर की तो करीब 36.16 लाख क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन में महज 1,514 करोड़ रुपये खर्च रुपये खर्च हुए। जीएसटी में राहत मिलते ही लोगों में उत्साह दिखा और अगले ही दिन लेनदेन की संख्या करीब 95 लाख रुपये तक बढ़ गई।
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23 सितंबर को भी खरीदारी की रफ्तार मजबूत रही और करीब 70 लाख ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हुए और क्रेडिट कार्ड से उपभोक्ताओं ने करीब 7274 करोड़ रुपये खर्च किए। इन आंकड़ों से पता चलता है कि ग्राहक खरीदार रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और शॉपिंग करने को लेकर काफी उतावले थे।
RBI के आंकड़ों के अनुसार, पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) ट्रांजैक्शन 22 सितंबर को पिछले दिन के 1,106 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,533 करोड़ रुपये तक पहुंए गए यानी दोगुने से भी अधिक लेनदेन हुए।
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डेबिट कार्ड से होने वाला खर्च भी बढ़ा
सबसे खास बात कि खर्च में दिखी यह तेजी सिर्फ क्रेडिट कार्ड्स तक सीमित नहीं थी। डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन के जरिए की जाने वाली खरीदारी में भी तेजी दिखी।
21 सितंबर को डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 193 करोड़ रुपये की शॉपिंग ग्राहकों ने की। वहीं 22 सितंबर को यह खर्चा 4 गुना बढ़ गया, जी हां 14.33 लाख ट्रांजैक्शन के जरिए कुल 814 करोड़ रुपये खर्च किए गए। और इसकी वजह थी जीएसटी में कटौती के बाद फेस्टिव सीजन पर देशभर में लोगों द्वारा जमकर खरीदारी करना।
RBI के आंकड़ों के अनुसार, UPI प्लेटफॉर्म के जरिए किए गए भुगतान भी 22 सितंबर को 82,477 करोड़ रुपये तक बढ़ गए जबकि एक दिन पहले 60,320 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
जीएसटी में राहत और त्योहारी सीजन की जुगलबंदी
गौर करने वाली बात है कि हाल ही में हुई जीएसटी कटौती के बाद रिटलेर्स और बैंकों द्वारा फेस्टिव ऑफर्स व स्पेशल पैकेज ऑफर किए जा रहे हैं। इन ऑफर्स में FMCG सामानों से लेकर ऑटोमोबाइल्स तक रेंज के प्रोडक्ट्स शामिल हैं। जीएसटी में राहत और त्योहारी सीजन की जुगलबंदी से उपभोक्ता मांग को और बल मिला है। दीवाली तक खर्च की रफ्तार मजबूत रहने की उम्मीद है क्योंकि खरीदार कम कीमतों और छूट का फायदा उठाते हैं। हालांकि, एक बैंकिंग से जुड़े एक सूत्र ने जनसत्ता के सहयोगी Indian Express से कहा कि सवाल यह है कि मांग में आया यह उछाल तब भी बना रहेगा जब त्योहारी उत्साह कम हो जाएगा और GST कटौती से मिलने वाला एक बार का लाभ घट जाएगा।
NeoGrowth के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO अरुण नय्यर ने कहा, “भारत में डिजिटल पेमेंट अब सिर्फ शहरी सुविधा नहीं रह गया है बल्कि यह एक राष्ट्रीय मानक (national standard) बन चुका है। जो बदलाव हम देख रहे हैं, वह टेक्नोलॉजी के जरिए हो रहा व्यवहारिक परिवर्तन है। किराना स्टोर्स से लेकर कियॉस्क तक, भारत के रिटेलर्स डिजिटल लेन-देन के अपनाने और दक्षता को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “डिजिटल ट्रेल्स तैयार होने से अर्थव्यवस्था का औपचारिककरण (formalisation) तेज हो रहा है। इसके साथ ही, यह रिच डेटा जेनरेट कर रहा है और क्रेडिट तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच का आधार तैयार कर रहा है। हमें भरोसा है कि यह बदलाव केवल भुगतान की सुविधा के बारे में नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए तैयार होने वाले इकोसिस्टम में विश्वास का विषय है।”
तेजी से बढ़ रही डिजिटल पेमेंट की आदत
गौर करने वाली बात है कि देभर में डिजिटल रिटेल ट्रांजैक्शन- यूपीआई पेमेंट से लेकर क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स तक, अब भारत में हर दिन के खर्च का एक अहम हिस्सा बन गया है और देशभर में लोग हर तरह के भुगतान के लिए ऑनलाइन मीडियम का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में टॉप-29 शहरों में डिजिटल गैप तेजी से कम हो रहा है और सभी रिटेल ट्रांजैक्शन में 74 फीसदी हिस्सा डिजिटल पेमेंट्स का है। जबकि दो साल पहले यह हिस्सा सिर्फ 45 फीसदी ही थी।
साफ शब्दों में कहें तो इन 29 शहरों में रिटेल में खर्च होने वाले हर 100 रुपये में से 74 रुपये डिजिटली पे किए जा रहे हैं। NeoGrowth NeoInsights की एक स्टडी के अनुसार, इस उछाल से उपभोक्ताओं में आए बड़े व्यवहारिक बदलाव का पता चलता है जो तेजी से डिजिटल लेन-देन की सुविधा और स्पीड को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत में डिजिटल भुगतान की आदतें अब रोजमर्रा की जिंदगी में गहराई से समा चुकी हैं। व्यक्तिगत देखभाल (83%) से लेकर किराने की खरीदारी (68%) और वाहन रख-रखाव (80%) तक, डिजिटल रिटेल लेन-देन अनिवार्य और वैकल्पिक दोनों कैटेगिरीज में प्रमुख हैं। किराना (68%) और ईंधन (63%) भी तेजी से पकड़ बना रहे हैं। स्टडी के अनुसार, हैदराबाद (82%), बेंगलुरु (79%) और पुणे (79%) टॉप शहरों में डिजिटल भुगतान को अपनाने में आगे हैं जबकि विशाखापत्तनम (76%), नागपुर (71%) और चंडीगढ़ (68%) मेट्रो शहरों के अलावा, सबसे आगे हैं।
इसके विपरीत, अहमदाबाद (60%), कोलकाता (55%), जमशेदपुर (54%), मदुरै (52%) और राजकोट (48%) अभी भी अधिकतर नकद पर निर्भर हैं। हालांकि, यह अंतर पहुंच की कमी के कारण नहीं है बल्कि व्यवहारिक कारणों से है। नकद लेन-देन पर लगातार निर्भरता और जानी-पहचानी भुगतान आदतों में बदलाव का विरोध, डिजिटल भुगतान को अपनाने की गति को धीमा कर रहा है।