EPFO Pension FAQs: इम्प्लॉयज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने बुधवार को सैलरी से लिंक हायर पेंशन के मुद्दे से जुड़ा एक Frequently Asked Questions (FAQs) रिलीज कर दिया। इस FAQs में हायर पेंशन रोलआउट से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलेगा। फील्ड ऑफिसर्स को जारी किए गए इस सर्कुलर में EPFO ने कहा है कि हायर पेंशन का विकल्प ऑप्ट करने वाले लोगों के लिए पेंशन का फॉर्मूला, Employees’ Pension Scheme (EPS) के पैरा 12 के हिसाब से कैलकुलेट होगी। यानी ‘पेंशन शुरू होने की तारीख- पेंशन योग्य सेवा, पेंशन योग्य वेतन और पेंशन सैलरी व पेंशन के लिए फॉर्मूला को निर्धारित करेगी।
EPFO का कहना है कि मान लीजिए कि जो लोग 2030 में रिटायर हो रहे हैं, उनकी पेंशन EPS, 1995 के प्रोविजन के आधार पर कैलकुलेट होगी और ‘पेंशन शुरू होने की तारीख से निर्धारित होगी।’ हालांकि, इस FAQs में यह नहीं बताया गया है कि 2030 के बाद रिटायर होने वाले लोगों के लिए पेंशन लागू करने के फॉर्मूला में कोई बदलाव किया गया है या नहीं। इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि 2030 के बाद रिटायर होने वाले लोगों की पेंशन की कैलकुलेशन में कुछ बदलाव हो सकता है।
ऐसे कैलकुलेट होगी पेंशन
बता दें कि जिन लोगों की पेंशन की शुरुआत 1 सितंबर 2014 से पहले हुई है, उन मेंबर्स के लिए पेंशन योग्य सैलरी को 12 महीने की सर्विस के दौरान, हर महीने कॉन्ट्रिब्यूट होने वाला मंथली एवरेट सैलरी के आधार पर कैलकुलेट होगी। इसके अलावा पेंशन फंड की मेंबरशिप से एग्जिट होने की तारीख भी देखी जाएगी। जिन लोगों की पेंशन की तारीख 1 सितंबर 2014 या उसके बाद शुरू हुई है, उनकी पेंशन योग्य सैलरी को, पेंशन फंड से मेंबरशिप से बाहर निकलने के पहले 60 महीने के कॉन्ट्रिब्यूशन के दौरान मिले औसत मासिक वेतन के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा। पेंशनभोगियों को टैक्स कटौती (टीडीएस) के मौजूदा आयकर नियमों के अनुरूप पेंशन का बकाया भुगतान किया जाएगा।
11 जुलाई तक थी हायर पेंशन के लिए अप्लाई करने का मौका
ईपीएफओ ने उच्च पेंशन (हायर पेंशन) के लिए आवेदन करने की समय सीमा 11 जुलाई तक रखी थी। इसके बाद, उसने नियोक्ताओं (इम्पलॉयर्स) को 30 सितंबर तक तीन महीने का और समय दिया और फिर 31 दिसंबर तक इसे एक्सटेंड कर दिया, जबकि कर्मचारियों के पास अपने आवेदन जमा करने के लिए 11 जुलाई तक का समय था।
ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सदस्यों ने एफएक्यू (FAQs) जारी करने का स्वागत किया। नियोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सीबीटी सदस्य के.ई. रघुनाथन ने कहा, “अगर इसे कुछ महीने पहले जारी किया गया होता, तो इससे पेंशनभोगियों और ईपीएफओ अधिकारियों के बीच असमंजस की स्थिति से बचा जा सकता था। लेकिन, निःसंदेह, कभी कोई काम ना होने से बेहतर है- देर आए दुरुस्त आए और मैं अब इस पर उनकी कार्रवाई की सराहना करता हूं।
EPS के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वाले आवेदकों से 12 अक्टूबर तक 1,974 करोड़ रुपये की संचयी मांग के साथ कुल 32,591 डिमांड लेटर जारी किए गए थे। हायर पेंशन के लिए आवेदनों की कुल संख्या लगभग 17.49 लाख हो गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल यानी 4 नवंबर 2023 को एक फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 में उस संशोधन को बरकरार रखा, जिससे 1 सितंबर 2014 को मौजूदा EPS सदस्यों को अपने ‘वास्तविक’ वेतन का 8.33 प्रतिशत तक योगदान करने का एक और मौका मिला। इससे
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 4 नवंबर को एक फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 में संशोधन को बरकरार रखा, जिससे उन कर्मचारियों को 8.33 प्रतिशत तक योगदान करने का एक और मौका मिला, जो 1 सितंबर 2014 को मौजूदा ईपीएस सदस्य थे। उनके ‘वास्तविक’ वेतन का – जबकि पेंशन योग्य वेतन का 8.33 प्रतिशत प्रति माह 15,000 रुपये तक सीमित है – पेंशन के लिए।
पेंशन फंड में पीएफ कॉर्पस में नियोक्ता के योगदान का 8.33 प्रतिशत जमा होता है। कर्मचारी और कंपनी, दोनों कर्मचारी के मूल वेतन, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग भत्ता, यदि कोई हो, का 12 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान करते हैं। कर्मचारी का पूरा योगदान EPF में जाता है, जबकि कंपनी द्वारा 12 प्रतिशत योगदान को ईपीएफ में 3.67 प्रतिशत और ईपीएस में 8.33 प्रतिशत के रूप में बांट दिया जाता है।