Recession due to coronavirus: कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों पर लगा ब्रेक वैश्विक मंदी से भी बड़े संकट का कारण बन सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने यह आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि दुनिया में यह महामारी 2008 की वैश्विक मंदी से भी बड़ी आर्थिक सुस्ती का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक मंदी से भी खराब हालात पैदा हो सकते हैं। 2020 की ग्लोबल ग्रोथ का आउटलुक नेगेटिव है, लेकिन 2021 में रिकवरी की उम्मीद कर सकते हैं। फिलहाल दुनिया भर में यह जरूरी है कि स्वास्थ्य ढांचे पर ध्यान दिया जाए। अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है, लेकिन हम जितना जल्दी वायरस को रोक सकेंगे। उतनी ही तेजी से रिकवरी हो सकेगी।’
2007 के मध्य से 2009 के शुरुआती दौर तक दुनिया भर में मंदी का दौर देखने को मिला था। तब कारोबारी गतिविधियां बेहद सुस्त थीं और बैंकिंग सिस्टम की हालत खस्ता थी। क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि हमें आर्थिक संकट से उबरने के लिए प्रयास करने होंगे। अब तक करीब 80 देशों ने मदद की मांग की है। हम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों के साथ मिलकर इन देशों की मदद करने की कोशिश में जुटे हैं।
जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों ने भी पिछले दिनों कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए बातचीत की थी। आईएमएफ के चीफ का कहना है कि उसके पास 1 ट्रिलियन डॉलर की कर्ज देने की क्षमता है और वह कमजोर देशों को कोरोना के संकट के दौर में मदद करेगा। क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि कोरोना से प्रभावित देशों को अपने हेल्थ सिस्टम को बेहतर करने के लिए प्रयास करने चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय बैंकों को अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में राहत देनी चाहिए ताकि ब्याज की दरें कम हो सकें और लोग खर्च करने के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने कहा कि मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए इस संकट से निपटना बहुत कठिन नहीं है, लेकिन उभरते बाजार वाले और कम आय वर्ग वाले देशों के लिए यह गंभीर चुनौती है। घरेलू बाजार ठप होने, आर्थिक गतिविधियों के लॉकडाउन के चलते ऐसे देश बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
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