भारत में हुए दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटना मुश्किल है। इससे गरीबों की मुश्किलों में इजाफा हो जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने यह बात कही है। ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘यह बेहद चिंताजनक बात है क्योंकि सिर्फ लॉकडाउन करने और लोगों को काम पर न जाने देने से ही इसका समाधान नहीं होगा। इसके जरिए लोगों को अलग-थलग नहीं रखा जा सकता है क्योंकि देश में स्लम भी हैं, जहां लोग एक साथ रहते हैं।’

उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण को रोकना इससे मुश्किल हो सकता है। रघुराम राजन ने कहा कि इससे समाज के गरीब तबके के लिए मुश्किलों में इजाफा हो सकता है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद देश में 14 अप्रैल तक के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन है। इसके चलते लाखों लोगों को मौलिक जरूरतों जैसे दवाई और खाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यही नहीं हजारों की संख्या में लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित अपने गांवों की तरफ पैदल ही निकल पड़े।

देश के कमजोर स्वास्थ्य ढांचे का भी जिक्र करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि फिलहाल पूरा फोकस कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे पर निवेश बढ़ाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि अगले तीन सप्ताह ऐसे गुजरने वाले हैं, जब गरीब तबके के तमाम लोगों पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होंगे। उन्हें खाने की भी किल्लत होगी। इसके अलावा इन हालातों में सार्वजनिक सेवाओं को जारी रख पाना आसान नहीं होगा।

 

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