भारत में सिक्योरिटी क्लियरेंस रद्द होने के बाद तुर्की की कंपनी सेलेबी एविएशन होल्डिंग के शेयर में पिछले 2 दिनों में 20 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं से जुड़े इस कदम ने 9 प्रमुख भारतीय एयरपोर्ट पर सेलेबी के ऑपरेशन को प्रभावी रूप से रोक दिया है। कंपनी के शेयरों में गुरुवार को 10% और शुक्रवार को 10% की गिरावट आई।

तुर्की के साथ भारत के कूटनीतिक तनाव

भारत के Bureau of Civil Aviation Security (BCAS) द्वारा अचानक उठाया गया यह कदम पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिए जाने पर बढ़ती प्रतिक्रिया के बीच आया है। हालांकि सेलेबी ने किसी भी राजनीतिक संबद्धता को खारिज कर दिया है, लेकिन इस कैंसिलेशन ने न केवल सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया, बल्कि इसकी अन्य भारतीय संस्थाओं को भी प्रभावित किया है।

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सेलेबी ने क्या कहा?

सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया ने एक बयान में आरोपों का खंडन करते हुए खुद को “वास्तव में एक भारतीय इंटरप्राइज” बताया। कंपनी ने कहा कि हम किसी भी Standard से तुर्की संगठन नहीं हैं। कंपनी ने कहा कि वह फैसले को बदलने के लिए “सभी प्रशासनिक और कानूनी उपायों” का पता लगाएगी।

सेलेबी के रेवेन्यू में भारत का कितना योगदान है?

सेलेबी ने बताया कि उसकी भारतीय सहायक कंपनियों ने 2024 में उसके कुल 585 मिलियन डॉलर कंसो रेवेन्यू में 33.8% (करीब 195 मिलियन डॉलर) का योगदान दिया। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई सहित एयरपोर्ट पर परिचालन करते हुए, सेलेबी ने 2009 से भारत में 250 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया था। वही, स्थानीय स्तर पर 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार दिया था।

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एयरपोर्ट ग्राउंड की ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस में रुकावट

सेलेबी के एयरपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति के वजह से एयरलाइनों और एयरपोर्ट अधिकारियों के बीच एआई एयरपोर्ट सर्विसेज, एयर इंडिया एसएटीएस और बर्ड ग्रुप जैसे अन्य प्रमुख खिलाड़ियों को शामिल करने की होड़ मच गई है। ग्राउंड हैंडलिंग एयरपोर्ट संचालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कंपनी ने किया तुर्की से राजनीतिक संबंधों के आरोपों को खारिज

सोशल मीडिया के दावों को खारिज करते हुए, सेलेबी ने इस बात से इनकार किया कि तुर्की के राष्ट्रपति Recep Tayyip Erdoğan की बेटी Sumeyye Bayraktar का कंपनी में कोई स्वामित्व है। इसने साफ किया कि सेलेबी का अधिकांस स्वामित्व अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों (FIIs) के पास है और इसका कोई राजनीतिक संबंध नहीं है।