भारत में बनने वाली कारों के सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल अब भी बरकरार है। कारों की सुरक्षा जांचने वाली वैश्विक संस्था एनसीएपी के भारतीय कारों के चौथे राउंड के क्रैश टेस्ट में रेनॉ क्विड और होंडा मोबिलियो फेल रही। हालांकि पिछली बार की तुलना में इस बार थोड़ा सुधार देखने को मिला। क्विड को एक स्टार मिला है जबकि मोबिलियो के बेस वेरियंट को जीरो व एयरबैग्स वाले वेरियंट को तीन स्टार मिले हैं। ग्लोबल एनसीएपी के सेक्रेटरी जनरल डेविड वार्ड ने बताया, ”रेनॉ और होंडा दूसरे बाजारों में सुरक्षित कारें बनाते हैं। उन्हें पता है कि भारतीय कारों को सुरक्षित कैसे बनाया जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही वे ऐसा करेंगे।”
इस साल मई के महीने में भी क्विड क्रैश टेस्ट में फेल रही थी। उस समय इसे बनाने वाली कंपनी रेनॉ ने कहा था कि वे कार के स्ट्रक्चर पर फिर से काम करेंगे। लेकिन अब नए टेस्ट में भी इस कार में हल्का सा ही सुधार दिखा है। यह सुधार ड्राइवर एयरबैग और सीटबैल्ट के चलते हुआ। टेस्ट के अनुसार इस कार में छाती को अभी भी नुकसान पहुंचता है। गौरतलब है कि क्विड भारत में काफी लोकप्रिय कार है। छोटी कारों में इसने तेजी से अपनी जगह बनाई है। होंडा मोबिलियो का बेस वेरियंट पूरी तरह से इस टेस्ट में नाकाम रहा। इसके अनुसार कार का स्ट्रक्चर स्थाई है लेकिन एयरबैग की कमी के चलते इसे जीरो स्टार मिला। इसके बाद डुअल एयरबैग के साथ मोबिलियो का टेस्ट किया गया। इसमें इसे तीन स्टार मिले।
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होंडा मोबिलियो कार का क्रैश टेस्ट(बिना एयरबैग):
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होंडा मोबिलियो कार का क्रैश टेस्ट(डुअल एयरबैग):
ग्लोबल एनसीएपी ने भारत में सुरक्षित कारों के लिए अभियान साल 2013 में शुरू किया था। उस समय पांच कारों का टेस्ट कर उनके रिजल्ट जारी किए गए थे। इन कारों में फॉर्ड फिगो, वॉक्सवैगन पोलो, ह्यूंडई आई10, मारुति सुजुकी अल्टो 800 और टाटा नैनो शामिल थी। इसके अगले साल डेटसन गो और मारुति सुजुकी स्विफ्ट का टेस्ट किया गया। इस साल मई में महिंद्रा स्कॉर्पियो, मारुति सुजुकी र्इको व सेलेरियो, ह्यूंडई ईऑन और रेनॉ क्विड का टेस्ट किया गया।
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रेनॉ क्विड कार का क्रैश टेस्ट: