Electric Cars Sales in India: भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार के लिए यह साल 2019 बहुत ही मुश्किलों भरा रहा। त्योहारी महीने को छोड़कर तकरीबन हर महीने वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट देखने को मिली है। नए बीएस6 नॉम्र्स के चलते वाहन निर्माताओं ने अपने गाड़ियों को अपडेट करना शुरु किया। इसके साथ ही कुछ कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को भी पेश किया। देश के वाहन उद्योग में आई इस इलेक्ट्रिक क्रांति का असर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के आंकड़े से ही लगाया जा सकता है। बीते अप्रैल और अक्टूबर महीने के बीच देश में केवल 1,071 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है।

सात महीनों के इस बिक्री के आंकड़े के अनुसार हर महीने देश में औसतन 153 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार Mahindra ने इन 7 महीनों में Verito इलेक्ट्रिक के कुल 434 यूनिट्स की बिक्री की है। वहीं Tata Tigor के कुल 389 यूनिट्स, Hyundai की देश में लांच की गई पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी Kona के कुल 227 यूनिट्स और Mahindra E20 के महज 21 यूनिट्स की ही बिक्री हुई है। ये देश में मौजूद सभी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का आंकड़ा है। जो कि देश में 7 महीनों के दौरान बेचे जाने वाले वाहनों का महज 0.067 प्रतिशत है।

इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2019 की बात करें तो देश में कुल 7.5 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है। जिसमें तिपहिया, दोपहिया और चारपहिया सभी तरह के इलेक्ट्रि​क वाहन शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा 6.3 लाख तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन और 1.26 लाख दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री शामिल है। इस वित्तीय वर्ष में महज 3,600 यूनिट्स पैसेंजर वाहनों की बिक्री दर्ज की गई है।

क्या दिग्गज बनाएंगे आसान राह: बहरहाल, मौजूदा साल चाहे जैसा भी रहा हो लेकिन आने वाले साल 2020 से देश के ऑटोमोबाइल बाजार को खासी उम्मीदे हैं। अगले साल बाजार में Tata Motors अपनी पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी Nexon EV और प्रीमियम हैचबैक कार Altroz के इलेक्ट्रिक अवतार को पेश करने जा रही है। इसके अलावा मारुति सुजुकी अपनी नई इलेक्ट्रिक कार Futuro-E और MG Motors अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी eZs को पेश करेगी। इतना ही नहीं, Kia Motors भी अपनी लोकप्रिय एसयूवी Seltos के इलेक्ट्रिक वर्जन को पेश करने की तैयारी कर रही है।

लांचिंग की लाइन अप किए गए इन मॉडल्स को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि भारत में अगला साल पूरी तरह इलेक्ट्रिफाइंग होने वाला है। चार​पहिया वाहनों के साथ ही दोपहिया बाजार में भी इलेक्ट्रिक क्रांति देखने को मिलेगी। Bajaj Auto भी तकरीबन चौदह सालों के बाद अपनी मशहूर स्कूटर Chetak को इलेक्ट्रिक अवतार में पेश करने जा रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल इन इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को लेकर उठता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर है सबकुछ: देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री यहां पर मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पूरी तरह से निर्भर है। देश में अभी ऐसे कई हिस्से हैं जहां पर आसानी से पेट्रोल और डीजल का मिलना मुश्किल है, ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन और उनके चा​र्ज करने की व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसमें वाहन निर्माता कंपनियों और सरकार दोनों को एक साथ मिलकर आगे आना होगा।

सरकार की नीतियां: इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को लेकर सरकार अपनी नीतियों में लगातार बदलाव कर रही है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर फेम2 स्कीम का भी लाभ दे रही है। लेकिन क्या कारों की खरीदारी में छूट देना ही ग्राहकों के लिए पर्याप्त होगा। आज भी इलेक्ट्रिक कार के ड्राइविंग को लेकर सबसे बड़ा सवाल लोगों के जेहन में इसके चार्जिंग को लेकर आता है।

लंबी दूरी तय करने से लोग डरते हैं, क्योंकि हर जगह चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा हाई परफॉर्मेंस और लांग ड्राइविंग रेंज वाली इलेक्ट्रिक कारों की मौजूदा कीमत 20 लाख रुपये से उपर है। क्योंकि हमारे यहां वाहन निर्माता कंपनियां इम्पोर्टेड बैटरी पैक्स का इस्तेमाल वाहन में करती हैं, जो कि इनकी उंची कीमत का प्रमुख कारण है। सामान्य तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत में 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी बैटरी पैक का ही होता है। यदि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और बैटरी के घरेलु निर्माण पर काम करती है तो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की राह को आसान बनाया जा सकता है।