BS4 Diesel Cars: भारत में 1 अप्रैल 2020 से नए उत्सर्जन मानक लागू होने जा रहे ​हैं, जिसके चलते करीब 40 से अधिक डीजल मॉडल को बाजार से बाहर कर दिया जाएगा। क्योंकि कंपनियां इन दिनों पेट्रोल, सीएनजी और इलेक्ट्रिक मॉडल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हालांकि भारत इस समय एक कोरोनोवायरस महामारी की चपेट में है। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि देशभर में लॉकडाउन का माहौल है और ऐसे में 31 मार्च की समय सीमा से पहले बीएस4 स्टॉक को खत्म करना नामुमकिन है।

बता दें, कंपनियों और डीलरों पहले ही बीएस 4 मॉडल को बेचने की समय सीमा को बढ़ाने के लिए याचिका दायर कर चुके हैं। वहीं SC ने कंपनियों और डीलरों को स्टॉक का केवल 10 प्रतिशत बेचने की अनुमति दी थी। कई वाहन कंपनियों ने अपने लाइन-अप से डीजल वेरिएंट को फेजआउट करने का फैसला किया था। जिनमें मारुति की मिनी एसयूवी ब्रेजा का डीजल मॉडल, एंट्री लेवल सेडान डिजायर, रेनो की डस्टर, स्कोडा की ऑक्टेविया, मारुति की स्विफ्ट, फॉक्सवैगन की पोलो और ऑडी की क्यू 3 और क्यू 5 एसयूवी शामिल हैं।

मारुति में मार्केटिंग और सेल्स डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने कहा, “देश में वर्तमान में डीजल के कुल 86 मॉडल ब्रिकी के लिए उपलब्ध है, जिनमें से 42 को बंद कर दिया जाएगा। इन 42 में मारुति के कुल सात मॉडल शामिल हैं। वहीं कंपनियों का कहना है कि डीजल मॉडल की मांग अब मार्केट में कम हो गई है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल और डीजल के बीच मूल्य अंतर में काफी कमी आई है। एक हिंदी वेबसाइट से बात करते हुए कंपनियों ने यह भी बताया कि डीजल कारों की आम तौर पर 10 साल की जीवन अवधि होती है जबकि पेट्रोल कारों की दिल्ली एनसीआर जैसे बाजारों में 15 साल का जीवन-काल होता है। जिसके चलते ग्राहक पेट्रोल मॉडल चुनते हैं।

मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, ‘छोटी कारों में डीजल इंजन को बीएस6 मानकों पर अपग्रेड करने में काफी लागत आती है। जिससे इनकी कीमत पर भी खासा असर देखने को मिलेगा। बता दें, मारुति वह पहली कंपनी है जिसने सबसे पहले डीजल खंड से बाहर जाने की घोषणा की थी। इसके बाद ही रेनो निसान, फॉक्सवैगन, स्कोडा और ऑडी सभी ने घोषणा की है। हालांकि वर्तमान में हुंडई, किआ मोटर्स, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टोयोटा, फोर्ड और मर्सिडीज-बेंज अभी भी डीजल मॉडल्स के साथ शामिल हैं।