Budget Economic Survey 2024-25 Highlights in Hindi: बजट 2024 के पूर्ण बजट से पहले आज (22 जुलाई 2024) संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया। बता दें कि बजट से पहले आने वाले इकोनॉमिक सर्वे एक फ्लैगशइप डॉक्युमेंट होता है जिसमें मौजूदा वित्तीय वर्ष की परफॉर्मेंस के बारे में बताया जाता है। यह आने वाले फाइनेंशियल ईयर के बजट के लिए आधार तैयार करता है। इस डॉक्युमेंट में पिछले वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी के बारे में समीक्षा की जाती है। इसके साथ ही सरकार के विकास कार्यक्रमों का सार भी पेश किया जाता है। हम आपको बता रहे हैं इकोनॉमिक सर्वे से जुड़ी हर अपडेट…
Budget 2024 Announcements LIVE: Read All Here
देश में बढ़ते कार्यबल को देखते हुए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है। समीक्षा में नौकरियों की संख्या का एक व्यापक अनुमान दिया गया गया है। बढ़ते कार्यबल के लिए इन नौकरियों को देश में सृजित करने की जरूरत है। इसमें कहा गया कि कामकाजी उम्र में हर कोई नौकरी की तलाश नहीं करेगा। उनमें से कुछ खुद का रोजगार करेंगे और कुछ नियोक्ता भी होंगे।
समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा आजीविका पैदा करने के बारे में है। इसके लिए सभी स्तर पर सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर प्रयास करना होगा। इसमें कहा गया है कि कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 प्रतिशत थी।
समीक्षा में कहा गया है, ‘‘परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है।’’ इसमें सुझाव दिया गया है कि गैर-कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 78.5 लाख नौकरियों की मांग में पीएलआई योजना (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र कपड़ा योजना (20 लाख रोजगार सृजन) और मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाएं पूरक भूमिका निभा सकती हैं। इसमें कहा गया है कि बढ़ते कार्यबल को संगठित रूप देने, उन क्षेत्रों में रोजगार सृजन की सुविधा प्रदान करने, जो कृषि से स्थानांतरित होने वाले श्रमिकों को अपना सकते हैं और नियमित वेतन/वेतन रोजगार वाले लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने की चुनौतियां भी मौजूद हैं। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारें अनुपालन बोझ को कम करके और भूमि पर कानूनों में सुधार करके रोजगार सृजन में तेजी ला सकती हैं।
भारत के लिए अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है। साथ ही मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद और प्रमुख आयातित वस्तुओं की वैश्विक कीमतों में नरमी से मुद्रास्फीति को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के अनुमान ‘दुरुस्त’ नजर आते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में यह बात कही गई। हालांकि, इसमें दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख तिलहनों के उत्पादन को बढ़ाने, दलहनों की खेती का क्षेत्र बढ़ाने और विशिष्ट फसलों के लिए आधुनिक भंडारण सुविधाओं के विकास में प्रगति का आकलन करने के लिए केंद्रित प्रयास करने का सुझाव दिया गया है।
इसमें विभिन्न विभागों द्वारा एकत्रित आवश्यक खाद्य वस्तुओं के मूल्य निगरानी आंकड़ों को आपस में जोड़ने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि खेत से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक प्रत्येक स्तर पर कीमतों में होने वाली वृद्धि की निगरानी तथा मात्रा का आकलन करने में मदद मिल सके। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों के एक दल द्वारा तैयार की गई समीक्षा में कहा गया, ‘‘ वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादक मूल्य सूचकांक तैयार करने के लिए जारी प्रयासों में तेजी लाई जा सकती है, ताकि लागत-प्रेरित मुद्रास्फीति को बेहतर ढंग से समझा जा सके।’’
भारत की मुद्रास्फीति दर 2023 में दो से छह प्रतिशत के लक्ष्य दायरे में थी। समीक्षा कहती है कि अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसी आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में 2021-2023 की त्रैवार्षिक औसत मुद्रास्फीति में मुद्रास्फीति लक्ष्य से सबसे कम विचलन था। भारत वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति को 5.4 प्रतिशत पर रखने में सफल रहा, जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद से सबसे निचला स्तर है। खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर चार महीने के उच्चस्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों तथा विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में 3.36 प्रतिशत रही। (भाषा)
भारत में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के वित्तपोषण का उच्चस्तर और नए स्रोतों से संसाधन जुटाना महत्वपूर्ण होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया कि इसे सुगम बनाने के लिए न केवल केंद्र सरकार से नीतिगत तथा संस्थागत समर्थन की जरूरत होगी, बल्कि राज्य और स्थानीय सरकारों को भी समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। समीक्षा में कहा गया कि विभिन्न माध्यमों तथा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए डाटा संग्रह तथा ‘रिपोर्टिंग’ तंत्र में सुधार करने की आवश्यकता है। साथ ही विभिन्न परियोजनाओं में इसके स्वरूप को भी सूक्ष्म स्तर पर सुधारने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा एक वार्षिक दस्तावेज है जिसे सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पावधि से मध्यावधि संभावनाओं का भी अवलोकन प्रस्तुत करता है। आर्थिक समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार की जाती है। (भाषा)
Economic Survey: FY 2024-25 में GDP 6.5 से 7 फीसदी रहने की उम्मीद, कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार का अनुमान...पूर खबर यहां
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि ग्लोबल अनिश्चितता से कैपिटल फ्लो पर असर संभव है। ग्लोबल कारोबार में चुनौती का अनुमान लगाया गया है। सर्वे के मुताबिक, कॉरपोरेट्स पर नौकरियां देने की जिम्मेदारी।
इकोनॉमिक सर्वे में मेंटल हेल्थ पर खास फोकस दिया गया है।
2030 तक भारत ड्रोन हब बनने की तरफ: आर्थइक समस्या
करीब 54 प्रतिशत बीमारियां अस्वास्थ्यकर आहार (जंक फूड) के कारण होती हैं; संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत : आर्थिक समीक्षा ।
देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ। 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान : आर्थिक समीक्षा।
आर्थिक समीक्षा में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन कॉरपोरेट सेक्टर में हुआ है।
चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है: आर्थिक समीक्षा ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से सभी कौशल स्तरों के श्रमिकों बड़ी अनिश्चितता के बादल छाए : आर्थिक समीक्षा
वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए: आर्थिक समीक्षा
लघु अवधि का मुद्रास्फीति परिदृश्य नरम, पर भारत के समक्ष दलहन की कमी और इसके चलते कीमतों का दबाव : आर्थिक समीक्षा।
भारत की नीतियों ने चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की: आर्थिक समीक्षा 2023-24
सामान्य मानसून की उम्मीद, आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है: आर्थिक समीक्षा
कंपनियों तथा बैंकों का बही-खाता मजबूत होने से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा : आर्थिक समीक्षा।
कर अनुपालन लाभ, व्यय पर अंकुश तथा डिजिटलीकरण से भारत सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल कर पाया है : आर्थिक समीक्षा
वित्तीय वर्ष 2024-25 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है।
आम लोगों को आर्थिक सर्वे से होने वाले फायदे की बात करें तो इससे सरकार के कामकाज की जानकारी मिलती है। देश की अर्थव्यवस्था के बारे में तस्वीर साफ होती है। महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक के आंकड़े मिलते हैं।
सरकार की आगे की नीतियों का पता चलता है।
इकोनॉमिक सर्वे को दो भागों में बांटकर पेश किया जाता है। पहला हिस्सा देश के मौजूदा हालातों को प्रदर्शित करता है, तो वहीं दूसरा पार्ट अलग-अलग सेक्टर्स के जरूरी आंकड़े दिखाता है।
बजट सत्र से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था को लेकर खुशी जाहिर की। उन्होंने जोर दिया कि पिछले तीन सालों के दौरान ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत पर बरकरार रही है।
संसद का मॉनसून सत्र आज 22 जुलाई से शुरू हुआ है। यह सत्र 12 अगस्त तक चलेगा और इसमें कुल 19 बैठकें होंगी। बजट 2024 पेश होने के अलावा 6 दूसरे बिल भी इस सत्र में पेश किए जाएंगे।
29 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट से पहले एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए करीब 7 प्रतिशत GDP ग्रोथ रहने का अनुमान लगाया था।
आज गिरावट के साथ खुले शेयर बाजार में धीरे-धीरे सुधार हुआ। आज पेश होने वाले इकोनॉमिक सर्वे और कल आने वाले बजट से पहले सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही एक बार फिर हरे रंग के निशान पर कारोबार करते दिखे।
आर्थिक सर्वे 2024 को संसद टीवी (Sansad TV) पर लाइव टेलिकास्ट किया जाएगा। इसके अलावा संसद टीवी के यूट्यूब चैनल और वित्त मंत्रालय के यूट्यूब चैनल पर भी लाइव स्ट्रीमिंग होगी। निजी टीवी चैनलों के अलावा डीडी न्यू, दूरदर्शन टीवी पर भी इकोनॉमिक सर्वे को लाइव देखा जा सकेगा।
केंद्र सरकार आज (22 जुलाई 2024) को इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survery) पेश करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोपहर 1 बजे लोकसभा जबकि दोपहर 2 बजे राज्यसभा में आर्थिक सर्वे पेश करेंगी। इसके बाद दोपहर ढाई बजे NMC में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन होगा।
सरकार ने किस सेक्टर में पिछले एक वित्तीय वर्ष में कैसा परफॉर्म किया है, इसकी जानकारी आर्थिक सर्वेक्षण में दी जाती है। कृषि, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, सर्विस, कारोबार जैसे सेक्टर के प्रदर्शन के बारे में बताया जाता है। इन सेक्टर का आर्थिक एनालिसिस इस सर्वे में होता है।
इकोनॉमिक सर्वेक्षण को सबसे पहले वित्तीय वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। उस समय इसे बजट के साथ ही पेश किया जाता था। लेकिन 1964 के बाद से इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।
इकोनॉमिक सर्वे एक तरह का दस्तावेज है जो हर साल बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।