वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट 2024 पेश करेंगी। आम चुनाव कुछ महीने दूर हैं, इसलिए इसकी संभावना नहीं है कि कोई बड़ी घोषणा की जाएगी। हालांकि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश को लेकर संभावनाएं जताई जा रही हैं। कुछ विशेषज्ञ 2024 के अंतरिम बजट में स्वास्थ्य देखभाल खर्च के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की उम्मीद कर रहे हैं।
दवाओं की बढ़ती लागत एक महत्वपूर्ण चुनौती बन रही है। खासकर पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए ये एक चुनौती है। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या अंतरिम बजट 2024 पेश करने में वित्त मंत्री दवाओं की कीमत में कटौती करेंगी?
कामिनेनी हॉस्पिटल्स की सीओओ डॉ. गायत्री कामिनेनी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस.कॉम को बताया, “सस्ती दवाओं की कीमतों सहित किफायती स्वास्थ्य देखभाल, देश की समृद्धि के लिए सर्वोपरि है। उच्च लागत के कारण अकसर लोग इलाज नहीं करा पाते। इस गंभीर मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए संभावित पहलों में आवश्यक दवाओं पर जीएसटी में कटौती या महत्वपूर्ण दवाओं को बनाने वाली दवा कंपनियों के लिए टैक्स रियायतें दी जा सकती हैं।
इस बीच एलपीयू के एप्लाइड मेडिकल साइंसेज की कार्यकारी डीन डॉ. मोनिका गुलाटी ने बताया कि कोविड के बाद सामान्य आबादी में मृत्यु दर में वृद्धि देखी गई है, जिससे विभिन्न चिकित्सा मदद की आवश्यकता बढ़ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को 2024-25 के लिए बजट की घोषणा के साथ हम उम्मीद करते हैं कि भारत में दवाओं और चिकित्सा उपकरण विनिर्माण इकाइयों की बढ़ती कीमतों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।”
डॉ. गुलाटी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस.कॉम को बताया कि हेल्थ मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और फार्मास्युटिकल दवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार को इस बजट में निर्णायक घोषणा करनी चाहिए। एक रिसर्च के अनुसार डायबिटीज, प्रीडायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ी है।
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन एंड ऑपरेशनल एक्सीलेंस के प्रमुख डॉ. विशाल अरोड़ा के अनुसार भारत में दवा की लागत को कम करने की आवश्यकता है और इसमें उत्पादन, वितरण और विनियमों जैसे विभिन्न कारकों को संबोधित करना चाहिए। पूर्ण बजट में इसको लेकर घोषणा हो सकती है।