इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और संबंधित पेशेवर पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो टैक्सपेयर्स को ITR में फर्जी टैक्स डिडक्शन और छूट का दावा करने में मदद करते पाए गए हैं।
रिपोर्टों से पता चलता है कि इनकम टैक्स अधिकारी देश भर में आयकर रिटर्न (ITR) तैयार करने वालों और संस्थाओं से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी जारी रखे हुए हैं।
वित्त मंत्रालय ने 14 जुलाई को एक सर्कुलर जारी करके इनकम टैक्स पेयर्स और कुछ टैक्स पेशेवरों द्वारा की गई धोखाधड़ी वाली टैक्स गतिविधियों के खिलाफ शुरू की गई सख्त कार्रवाई की जानकारी दी है, आइए जानते हैं…
इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने क्या कहा?
इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट की तरफ से कहा गया है कि उसने ITR में ‘डिडक्शन और छूट के फेक क्लेम को बढ़ावा देने वाले’ व्यक्तियों और संस्थाओं की जांच हो रही है। डिपॉर्टमेंट ने अभी तक की जांच में पाया कि कई टैक्सपेयर्स ने पेशेवर बिचौलियों (intermediaries) के साथ मिलीभगत की, क्योंकि बिचौलियों ने उन्हें हाई रिफंड का वादा किया और बदले में भारी कमीशन वसूला।
कैसे की जाती है यह टैक्स धोखाधड़ी?
सरकार की तरफ से कहा गया है कि जांच में कुछ आईटीआर तैयार करने वालों द्वारा संचालित संगठित रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जो फर्जी डिडक्शन और छूटों का दावा करते हुए रिटर्न फाइल कर रहे हैं। इन धोखाधड़ीपूर्ण फाइलिंग में लाभकारी प्रावधानों का दुरुपयोग शामिल है, यहां तक कि कुछ लोग अत्यधिक रिफंड का क्लेम करने के लिए झूठे टीडीएस रिटर्न भी जमा करते हैं।
टैक्स पेशेवर टैक्सपेयर्स को भरोसा दिलाते हैं कि वे उन्हें अधिक टैक्स रिफंड दिला सकते हैं। इसके लिए, वे आईटीआर में फर्जी कटौतियां और छूट दिखाते हैं – जैसे कि HRA, 80C, 80D, 80G, होम लोन (Home Loan) का ब्याज आदि।
टैक्सपेयर्स को बताया जाता है कि अगर आयकर विभाग पूछताछ नहीं करता है, तो उन्हें पूरा रिफंड मिलेगा और एक निश्चित प्रतिशत एजेंट को कमीशन के रूप में देना होगा।
इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट की कार्रवाई (Income Tax Department action)
इनकम टैक्स ने देश भर में ऐसे मामलों की पहचान करने के लिए डेटा एनालिटिक्स (Data Analytics), एआई टूल्स (AI tools) और थर्ड पार्टी सोर्स (Third Party Sources) का इस्तेमाल किया है। शुरुआती जांच से पता चला है कि कई टैक्सपेयर्स ने ऐसी कटौतियों का दावा किया है जिनका उनके पास कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।
हमारी सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, विभाग ने ऐसे मामलों में तलाशी और सर्वेक्षण अभियान चलाकर एजेंटों और टैक्सपेयर्स, दोनों से पूछताछ शुरू कर दी है। अब तक कई राज्यों में 150 से अधिक जगहों पर कार्रवाई की जा चुकी है।
वित्त मंत्रालय ने एक रिलीज में कहा, ‘150 परिसरों में चल रहे सत्यापन अभियान से डिजिटल रिकॉर्ड सहित महत्वपूर्ण सबूत मिलने की उम्मीद है, जिससे इन योजनाओं के पीछे के नेटवर्क को ध्वस्त करने और कानून के तहत जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।’
इसके साथ ही, कई टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजकर अपना आईटीआर अपडेट करने और गलत दावे वापस लेने के लिए कहा गया है।
विभाग ने दावा किया है कि पिछले 4 महीनों में करीब 40,000 टैक्सपेयर्स ने अपने रिटर्न अपडेट किए हैं और स्वेच्छा से 1,045 करोड़ रुपये के झूठे दावे वापस लिए हैं। हालांकि, कई लोग अभी भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
अब आगे क्या?
इन टैक्स डिपॉर्टमेंट ने चेतावनी दी है कि अगर कोई टैक्सपेयर्स फिर भी फेक क्लैम नहीं हटाता है, तो उसके खिलाफ जुर्माना, मुकदमा और रिफंड रोकने जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
टैक्सपेयर्स के लिए महत्वपूर्ण सलाह
– आप आईटीआर को सिर्फ सर्टिफाइड टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट की सहायता लेकर ही भरें।
– आईटीआर को फाइल करने से पहले सभी कटौतियों और क्लेम के डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें।
– अगर कोई टैक्स प्रोफेशनल रिफंड के बदले कमीशन की पेशकश करता है, तो सावधान रहें।
– इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट की वेबसाइट या आधिकारिक संचार माध्यमों पर प्राप्त चेतावनियों को नजरअंदाज न करें।