Baba Ramdev Crossed Red line, called Medical Science Stupid: योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें पिछले कुछ सप्ताह से लगातार बढ़ती जा रही हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के मुखिया बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस तक मिल चुका है। कई बार कोर्ट में और अखबारों में सार्वजनिक माफी मांगने के बाद भी शीर्ष अदालत से दोनों को कोई राहत अब तक नहीं मिली है। आज (30 अप्रैल 2024) को एक बार फिर कोर्ट में सुनवाई है और रामदेव व बालकृष्ण की हाजिरी भी है। इससे पहले IMA के अध्यक्ष डॉक्टर आरवी अशोकन ने कहा है कि बाबा रामदेव ने उस समय रेड लाइन (सभी सीमाएं) क्रॉस कर दी जब उन्होंने यह दावा किया कि वह COVID-19 महामारी का इलाज कर सकते हैं और उसी समय एलोपैथी को लेकर दुष्प्रचार भी किया।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में अशोकन ने कहा कि रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति को मूर्खतापूर्ण और खोखला विज्ञान कहकर चिकित्सा व्यवसाय के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर काम किया है।
डॉक्टर आरवी अशोकन ने आगे कहा, ‘जब सरकार देशभर में वैक्सिनेशन मुहिम चला रही थी, उस समय उन्होंने राष्ट्रहित के खिलाफ काम किया। उन्होंने कहा कि कि कोविड वैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद 20,000 डॉक्टर्स की मौत हो गई। और वह जिस ऊंचे ओहदे पर हैं, आप जानते हैं कि लोगों ने उस बात पर भरोसा किया, जो उन्होंने कहा। यह बेहद दुर्भाग्यपू्र्ण था।’
उन्होंने कहा कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है। शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था।
रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद पर क्यों किया IMA ने केस
रामदेव जैसे बड़े नाम और राजनीतिक संबंध होने के बावजूद IMA द्वारा केस करने पर अशोकन ने कहा, ‘उन्होंने सारी सीमाएं पार कर दी थीं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम इस देश में बहुत लंबे समय से मध्यस्थता को बर्दाश्त कर रहे हैं। हमारे पेशा भी इसे बर्दाश्त कर रहा है और हम कभी भी किसी को कुछ भी साबित नहीं करना चाहते थए। जब उन्होंने कोरोनिल (पतंजलि टैबलेट) के बारे में विज्ञापन दिया और कहा कि WHO ने इसे मंजूरी दी है तो उन्होंने हद पार कर दी, यह एक गलत बयान था।’
“हम इस देश में बहुत लंबे समय से मध्यस्थता को बर्दाश्त कर रहे हैं। हमारा पेशा भी इसे बर्दाश्त कर रहा है और हम कभी भी किसी को कुछ भी साबित नहीं करना चाहते थे। जब उन्होंने कोरोनिल (पतंजलि टैबलेट) के बारे में विज्ञापन दिया और कहा कि डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी दे दी है तो उन्होंने हद पार कर दी।” यह, जो एक गलत बयान था,” अशोकन ने कहा।
अशोकन ने आगे कहा, ‘हमारी लीडरशिप को लगा कि उन्हें चुनौती देने की जरूरत है। 2022 में हमने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के माध्यम को जरिया बनाया। सुप्रीम कोर्ट में जो हुआ वह दो-तीन साल की कड़ी मेहनत है।’
‘आईएमए पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ नहीं’
अशोकन ने कहा कि IMA पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ नहीं है। उन्होंने बताया, ‘हम सालों तक उनके साथ ही रहे हैं। हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। लेकिन फिलहाल, समाज के कुछ वर्गों ने सोचा कि हम पारंपरिक प्रणालियों के विरोधी हैं और जहां तक सार्वजनिक माफी की बात है, तो यह सुप्रीम कोर्ट से थी। और यह अवमानना के चलते मांगी गई माफी ज्यादा है।’
पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई पर IMA की प्रतिक्रिया
अशोकन ने कहा कि अभी तक कोर्ट का आखिरी फैसला नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘हमें इंतजार करने की जरूरत है। हम संतुष्ट हैं या नहीं, यह कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। यह उस माफी के बारे में नहीं है जो उन्होंने मांगी है, अदालत को हमें बताना है कि क्या उन्होंने आधुनिक चिकित्सा का दुरुपयोग करके सीमा पार की है। ‘
MA vs Patanjali
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के खिलाफ उस याचिका पर सुनवाई चल रही है जो IMA ने 2022 में दाखिल की थी। इस याचिका में कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव और आधुनिक चिकित्सा को बेकार बताने के खिलाफ चलाई गई मुहिम के आरोप लगाए गए हैं। कोर्ट ने रामदेव और उनके सहयोगी व पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेस से भ्रामक विज्ञापन दिए जाने के चलते सार्वजनिक माफी मांगने को कहा था।