वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच दरार जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने दोनों के बीच मतभेद की अफवाहों को खारिज किया। जेटली ने यह उम्मीद भी जताई कि बैंंक ब्याज दरों में कटौती के मामले में केंद्रीय बैंक की नीतियों का अनुसरण करेंगे। जेटली ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच नियमित तौर पर बातचीत होती रहती है।
वित्त वर्ष 2015-16 के बजट प्रस्तावों पर रिजर्व बैंक के निदेशक मंडलों को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा- हम रिजर्व बैंक के साथ बजट से पहले और उसके बाद चर्चा करते हैं। हमारे बीच मुक्त और खुली चर्चा होती है और इसीलिए किसी प्रकार की कोई दरार जैसी बात नहीं है। मैंने बार-बार इसे स्पष्ट किया है।
गौरतलब है कि जेटली ने अपने बजट में सरकारी बांड में कारोबार का नियमन आरबीआइ के पास से हटाकर सेबी के हाथों में देने का प्रस्ताव किया है। खबरों के मुताबिक इसके अलावा सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक नीति व्यवस्था के समझौते पर भी कुछ मतभेद हैं। इस समझौते में मुद्रास्फीति को पूर्व निर्धारित स्तर तक रखने के उपाय किए जाएंगे और मुद्रास्फीति का लक्ष्य सरकार व केंद्रीय बैंक मिलकर तय करेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा- जहां तक वित्त विधेयक के प्रस्तावों का सवाल है, वे संसद के समक्ष रखे जा चुके हैं। उनमें से कुछ प्रस्तावों पर हमारी पहले चर्चा हो चुकी थी, उस पर हमने रविवार को भी चर्चा की। इस अवसर और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। उन्होंने आगे कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हमेशा बातचीत होती रहती है। हमारे बीच बजट से पहले और बजट के बाद भी चर्चा होती है।
यह पूछे जाने पर कि रिजर्व बैंक द्वारा पिछले तीन महीने में रेपो दर में दो बार कटौती के बावजूद बैंकों द्वारा इसका लाभ ग्राहकों को नहीं दिए गए और क्या सरकार इसके लिए बैंकों पर दबाव देगी उन्होंने कहा कि सरकार किसी पर दबाव नहीं देती। लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि बैंक रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुरूप इस दिशा में कदम उठाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा- हम उन पर (बैंकों पर) दबाव नहीं देते। हम केवल उम्मीद करते हैं और हमारी उम्मीदें सही साबित होती हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले तीन महीने में रिजर्व बैंक रेपो देर में दो बार कुल 0.5 फीसद की कटौती कर चुका है। फिलहाल यह 7.5 फीसद है। रेपो वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है।
इस महीने की शुरुआत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों की बैठक में भी ब्याज दर में कटौती का मुद्दा उठा था। इस बैठक की अध्यक्षता जेटली ने की थी। उस समय कुछ बैंकों ने कहा था कि वे अपने खुदरा और बड़े ऋण लेने वाले ग्राहकों को लाभ देने से पहले सात अप्रैल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में मिलने वाले संकेत का इंतजार करेंगे।
सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर व्यय में कटौती के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में वास्तविक खर्च बढ़ा है। केवल खर्च करने का तरीका बदला है जिसका कारण 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें हैं।
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों पर व्यय का जिम्मा केंद्र सरकार तो ले ही रही है पर अब राज्यों को केंद्रीय कर आय में अपेक्षाकृत बड़ी हिस्सेदारी मिलने से, राज्य सरकारें भी इन योजनाओं पर अतिरिक्त राशि खर्च करेंगी। इसीलिए इन क्षेत्रों में कुल खर्च किसी भी अन्य वर्ष के मुकाबले इस साल ज्यादा रहेगा और इसमें उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
इस बीच केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री ने रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के साथ आम बजट से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
जेटली के अलावा बैठक में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, रिजर्व बैंक के चार डिप्टी गवर्नर व सरकार द्वारा नामित निदेशक वित्त सचिव राजीव महर्षि, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव हसमुख अधिया और विनिवेश सचिव आराधना जौहरी उपस्थित थी। बैठक में शामिल बोर्ड के अन्य सदस्य वाईएच मालेगाम, नचिकेत मोर, दीपांकर गुप्त, जीएम राव, इला आर भट्ट, इंदिरा राजारमन व वाइसी देवेश्वर शामिल थे।