एक दशक पहले तक देश के टॉप अरबपतियों में शुमार अनिल अंबानी अब कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज को कम करने के लिए अनिल अंबानी ने अपनी कई संपत्तियों की या तो बिक्री कर दी है या बिक्र की प्रक्रिया में जुटे हैं।
इन्हीं में से एक कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) है। कुछ साल पहले तक टेलीकॉम इंडस्ट्री में चर्चित रही रिलायंस कम्युनिकेशंस को खरीदने वाले में भारती एयरटेल ने भी दिलचस्पी दिखाई थी। हालांकि, कुछ दिनों बाद ही एयरटेल ने अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हुए खुद को इस डील से अलग कर दिया। आइए जानते हैं क्या है किस्सा..
भारती एयरटेल ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) को खरीदने के लिए बोली लगाई थी लेकिन बाद में कंपनी ने कर्जदाताओं की समिति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। दरअसल, एयरटेल की प्रतिद्वंदी कंपनी रिलायंस जियो के अनुरोध पर RCom के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने बोली लगाने की डेडलाइन बढ़ा दी थी। इसी बात पर एयरटेल को आपत्ति थी।
एयरटेल का कहना था कि जब हमने समयसीमा बढ़ाने का आग्रह किया तो RCom के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने खारिज कर दिया था। लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि बाद में एक कंपनी को प्रक्रिया में शामिल करने के लिए बोली लगाने की समयसीमा बढ़ा दी गई। हालांकि, एयरटेल ने जियो के नाम का जिक्र नहीं किया।
एयरटेल की ओर से कहा गया कि हमारी समयसीमा बढ़ाने के आग्रह को सीओसी ने खारिज कर दिया था, ऐसे में कंपनी को जल्दबाजी में बोली जमा करानी पड़ी। सीओसी का यह आचरण समानता, पारदर्शिता के खिलाफ रहा है और उसके व्यवहार को लेकर सवाल खड़ा करता है। (ये पढ़ें-अडानी संभाल रहे हैं अंबानी का कारोबार)
प्रतिद्वंदी हैं एयरटेल और जियो: टेलीकॉम इंडस्ट्री में एयरटेल और मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो एक दूसरे की प्रतिद्वंदी हैं। ग्राहकों के मामले में रिलायंस जियो आगे है लेकिन बीते कुछ महीनों से मासिक आधार पर सब्सक्राइबर्स बढ़ाने के मामले में एयरटेल लीड कर रही है। आपको बता दें कि रिलायंस जियो ने 2016 में टेलीकॉम इंडस्ट्री में एंट्री ली थी, इसके बाद फ्री में कॉलिंग और डाटा सर्विस देने की वजह से जियो की लोकप्रियता बढ़ गई। इस वजह से कई छोटी-बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को या तो अपना कारोबार समेटना पड़ा या फिर मर्जर करने की नौबत आ गई। (ये पढ़ें—जब अंबानी की डील पर बिड़ला परिवार को हुई आपत्ति)