उच्चतम न्यायालय ने घर खरीदारों के 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के हेरफेर में आम्रपाली समूह के निदेशकों और ऑडिटरों के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), दिल्ली पुलिस और भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) को फॉरेंसिक ऑडिट (लेखा परीक्षा) रिपोर्ट देने का सोमवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू . यू . ललित की पीठ ने शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री को आम्रपाली समूह की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सार्वजनिक कंपनी एनबीसीसी को 7.16 करोड़ रुपये का भुगतान करने को भी कहा है। यह पैसा आम्रपाली समूह की ओर से रजिस्ट्री में जमा कराया गया था।
पीठ ने नोएडा , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को दिए निर्देश में कहा कि वे घर खरीदारों को निर्माण कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र (कंप्लीशन र्सिटफिकेट) जारी करने के लिए विशेष प्रकोष्ठ (नोडल सेल) बनाएं। शीर्ष न्यायालय ने प्राधिकरणों को आम्रपाली मामले का कामकाज देख रहे कोर्ट रिसीवर आर वेंकटरमणी (वरिष्ठ अधिवक्ता) के साथ समन्वय के लिए एक अधिकारी को नियुक्त करने का भी निर्देश दिया है। यह अधिकारी उप प्रबंधक स्तर से नीचे का नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने इस मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर को नियत की।
बता दें कि आम्रपाली मामले में महेंद्र सिंह धोनी का नाम भी आ चुका है। धोनी जैसे ब्राण्ड एम्बेसडर पर भरोसा करके हजारों ग्राहकों ने आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में गाढ़ी कमाई लगा दी थी और आज वे दर-दर भटक रहे हैं। आम्रपाली के नोएडा में स्थित 62773 फ्लैटों में 2230 और ग्रेटर नोएडा में 1,24,294 फ्लैटों में सिर्फ 2395 में ही निर्माण हुआ है। लगभग 46 हजार खरीददारों के मकानों का तो अता-पता ही नहीं है. दूसरी ओर धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य अर्जी लगाकर आम्रपाली से बकाया 114 करोड़ रुपये के वसूली की मांग की है. धोनी के अनुसार वे आम्रपाली के ब्राण्ड एम्बेसडर थे, परन्तु कम्पनी ने उन्हें 38.95 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया।
भाषा के इनपुट के साथ।